कोसीकलाँ

भारत के उत्तर प्रदेश में एक शहर

कोसीकलाँ (Kosi Kalan) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

कोसीकलाँ
Kosi Kalan
कोसीकलाँ is located in उत्तर प्रदेश
कोसीकलाँ
कोसीकलाँ
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 27°47′49″N 77°26′02″E / 27.797°N 77.434°E / 27.797; 77.434निर्देशांक: 27°47′49″N 77°26′02″E / 27.797°N 77.434°E / 27.797; 77.434
देश भारत
राज्यउत्तर प्रदेश
ज़िलामथुरा ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल60,074
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

मथुरा से 50 कि. मी. उत्तर-पश्चिम में कोसी अथवा कोसीकलाँ स्थित है। यह आगरा-दिल्ली सड़क पर स्थित है। इस स्थान पर श्री नन्द महाराज की कुशस्थली थी, इस कारण इस स्थान का नाम कोसी अथवा कोसीकलाँ हुआ। एक दिन श्री नन्द महाराज जब द्वारका पुरी दर्शन की तैयारी करने लगे तो श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर श्री नन्द-यशोदा को अपने ईश्वरीय शक्ति से समस्त द्वारका पुरी का दर्शन कराया थ। इस गांव में गोमतीकुण्ड, विशाखा कुण्ड, मायाकुण्ड, श्री राधामाधव मन्दिर, श्री राधाकान्त मन्दिर, श्री लक्ष्मीनारायण मन्दिर, श्री राधावल्लभ मन्दिर एंव श्री दाऊजी मन्दिर दर्शनीय हैं। मथुरा ज़िले में कोसी एक महत्त्वपूर्ण मण्डी है। यह एक व्यापारिक मण्डी व व्यापारिक केन्द्र है। कोसी शब्द कुशस्थली का अपभ्रंश है जो कि द्वारिका का दूसरा नाम है। इस बात की पुष्टि कोसी में रत्नाकार कुण्ड, माया कुण्ड, विशाखा कुण्ड और गोमती कुण्ड की स्थिति से होती है। द्वारका में भी इसी नाम के कुण्ड है। कोसी के निकट से ही आगरा नहर प्रवाहित होती है। यह कस्बा पहले निचाई पर स्थित होने के कारण अस्वस्थकर था लेकिन अब इसकी जलवायु पहले जैसी अस्वस्थकर नहीं है।

सन 1906-7 ई. में सिंचाई विभाग ने इस ओर उद्योग किया जिसके परिणाम स्वरूप यहाँ की जलवायु में पर्याप्त सुधार हुआ। इस कस्बे के केन्द्र में एक बड़ी सराय है जिसका विस्तार 9.5 बीघा में है। यह एक ऊँची द्दढ़ दीवाल से घिरी हुई है जिसमें दो बड़े लाल पत्थर के महराब वाले दरवाजे हैं। इस सराये के निर्माता ख्वाजा इतबाने खाँ कहे जाते हैं जो कि सम्राट अकबर के शासन काल में दिल्ली के गवर्नर थे। पत्थर का बना हुआ रत्नाकार कुण्ड भी इसी काल में बनवाया गया था। इस कुण्ड के अतिरिक्त महाकुण्ड, विशाखा कुण्ड और गोमती कुण्ड हैं। गोमती कुण्ड पर चैत्र मास कृष्णपक्ष में फूलडोल का उत्सव होता है जिससे यह स्थान इस कस्बे का अत्यन्त पवित्र स्थल हो गया है। यहाँ पर जैनियों के भी पदमप्रमु नेमनाथ और अरिष्टनेमी के सुप्रसिद्ध मन्दिर हैं। भादों में नेमनाथ मन्दिर में एक उत्सव होता है। आजकल कोसी दिन पर दिन उन्नति कर रहा है।

इन्हें भी देखें

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  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975