क्रान्ति-तीर्थ गुजरात का एक सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह कच्छ के माण्डवी जिले में माण्डवी नगर से 3 किलोमीटर दूर माण्डवी धारबुदी मार्ग पर स्थित है। श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा यूनाइटेड किंगडम में बीसवी शताब्दी के प्रारम्भ में स्थापित हाईगेट लन्दन के ऐतिहासिक इण्डिया हाउस की अनुकृति इस पर्यटन स्थल में विशेष रूप से दर्शनीय है।

पण्डित श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक
क्रान्तितीर्थ
Details
Established२०१०
Locationमांडवी, कच्छ, गुजरात
Coordinates34°07′30″N 118°14′24″W / 34.125°N 118.240°W / 34.125; -118.240 (क्रान्तितीर्थ, मांडवी)निर्देशांक: 34°07′30″N 118°14′24″W / 34.125°N 118.240°W / 34.125; -118.240 (क्रान्तितीर्थ, मांडवी)
Typeसार्वजनिक
Owned byगुजरात सरकार
Size८९.८६ एकर
Websiteवेबसाइट
Find a Graveपण्डित श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक
हाईगेट लन्दन का इण्डिया हाउस, जिसकी अनुकृति बनाकर क्रान्ति तीर्थ में रखी गयी है।

गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 13 दिसम्बर 2010 को राष्ट्र को समर्पित इस क्रान्ति-तीर्थ को देखने दूर-दूर से पर्यटक गुजरात आते हैं। गुजरात सरकार का पर्यटन विभाग इसकी देखरेख करता है।

इतिहास संपादित करें

 
क्रान्तिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा (सौजन्य से Nizil Shah)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा का निधन स्विट्जरलैंड की राजधानी जिनेवा में ३१ मार्च १९३० को हो गया था। गुजरात के मुख्यमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी अस्थियों को भारत की स्वतन्त्रता के 55 वर्ष बाद 22 अगस्त 2003 को स्विस सरकार से अनुरोध करके जिनेवा से स्वदेश वापस मँगाया[1] और श्यामजी कृष्ण वर्मा के जन्म स्थान माण्डवी में क्रान्ति-तीर्थ नाम से एक रमणीय पर्यटन स्थल बनाकर उसमें उनकी स्मृति को संरक्षण प्रदान किया।[2]

13 दिसम्बर 2010 को मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इस क्रान्ति-तीर्थ को देखने दूर-दूर से पर्यटक गुजरात आते हैं।[3] इसकी देखरेख के साथ-साथ पर्यटकों के आवागमन व निवास आदि की सारी व्यवस्था गुजरात सरकार का पर्यटन विभाग करता है।[4]

क्रान्ति-तीर्थ के परिसर में लन्दन के इण्डिया हाउस की हू-ब-हू अनुकृति बनाकर उसमें श्यामजी कृष्ण वर्मा सहित अनेक क्रान्तिकारियों के चित्र व उनसे सम्बन्धित साहित्य भी रखा गया है। कच्छ जाने वाले सभी देशी विदेशी पर्यटकों के लिये माण्डवी का क्रान्ति-तीर्थ एक उल्लेखनीय पर्यटन स्थल बन चुका है। इसे देखने दूर-दूर से भारी संख्या में विदेशी पर्यटक गुजरात आते हैं।[3]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. क्रान्त (2006). स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारी साहित्य का इतिहास. 1 (1 संस्करण). नई दिल्ली: प्रवीण प्रकाशन. पृ॰ २५०. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7783-119-4. मूल से 14 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १२ फरबरी २०१४. गुजरात सरकार ने प्रयत्न करके जिनेवा से उनकी अस्थियाँ भारत मँगवायीं और उनकी अन्तिम इच्छा का समादर किया। |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. Soondas, Anand (24 अगस्त 2003). "Road show with patriot ash". द टेलीग्राफ, कलकत्ता, भारत. मूल से 20 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 फरबरी 2014. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. श्यामजीकृष्ण वर्मा स्मृतिकक्ष Archived 2014-02-22 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि:१२ फरबरी २०१४
  4. गुजरात टूरिज्म डॉट कॉम Archived 2012-01-27 at the वेबैक मशीन, अभिगमन तिथि: १२ फ़रवरी २०१४

इन्हें भी देखें संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें