क्रीटी ग्रीस के क्रीट द्वीप की प्राचीन भाषा है। क्रीटी भाषा और लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी जिससे उसकी भाषा के प्राचीन रूप का पता चल सकना संभव न हो सका है। किंतु अधिकतर विद्वानों का मत है कि प्राचीन क्रीट की यह भाषा आर्येतर थी। वहाँ तक आर्यों की पहुँच होने से पहले ही वह मर चुकी थी। उसके दक्षिण सागर पार प्राचीन मिस्रियों की हामी सभ्यता थी, पूर्व में सुमेरियों और बाबुलियों की सामी सभ्यता उसे छापे हुए थी, जिससे आर्यों के संपर्क से वह वंचित रहा। क्रीट और उसके ग्रीक, लघुएशियाई नगरों का १५वीं सदी ई. पू. के लगभग आर्यों से संपर्क हुआ और वह उनके लिये मारक सिद्ध हुआ। एशियाई और दोरियाई आर्य ग्रीक जातियों ने अपने आक्रमणों द्वारा उन्हें नष्ट कर दिया।

मिट्टी से बने छड़ पर क्रीटी लिपि में लिखा है।

सर आर्थर ईवांस आदि पुराविदों के अध्यवसाय से क्रीट की प्राचीन सभ्यता के भग्नावशेष खोद निकाले गए हैं। इसी सभ्यता के लघुएशिया के पूर्वोत्तरी संतरी त्राय नगर के ध्वंसावशेषों को खोदकर श्लीमान ने पुरातत्व के विज्ञान की नींव डाली थी। लघुएशिया का यह त्राय और ग्रीस का माइसीनी (मिकीनी) इसी क्रीटी सभ्यता के नगर थे जिनके दूसरे नाम ईजियाई और मिनोसी (मिनोअन) भी हैं।

क्रीटी सभ्यता के नगरों की खुदाइयों में प्राय: दो हजार मिट्टी, चूने आदि की बनी मुहरें मिली हैं। इनके अध्ययन से पता चलता है कि क्रीटी भाषा की प्रारंभिक लिपि चित्रमय थी जो धीरे धीरे रेखांकित हो गई। ये रेखाएँ क्या ध्वनित करती हैं, इसका अनुमान कर सकना कठिन है। बाद की सदियों की मुहरों पर जो आकृतियाँ बनी हैं उनसे अनुमान किया गया है कि वे संभवत: उस वर्ग की है जिसे ‘आइडियोग्राफ़’ (शब्दचित्र, ध्वनिनाम -चित्र) कहते हैं, जो चित्रलिपि और वर्णलिपि के बीच की लिपि है। इन आकृतियों से स्पष्ट है कि अभी तक क्रीट में वर्णमाला लिपि का उदय नहीं हुआ था। जब तक इन मुहरों की लिपि पढ़ ली नहीं जाती, ईजियाई सभ्यता की भाषा के संबंध में किसी प्रकार का भी अनुमान केवल काल्पनिक होगा।