क्लाइंट किसी कम्प्यूटर या कम्प्यूटर प्रोग्राम को कहते हैं, जो किसी और कम्प्यूटर (सर्वर) द्वारा प्रदत्त सेवाओ का उपभोग करता है। क्लाइंट सामान्यतः किसी साझा (सार्वजनिक) नेटवर्क के सन्साधनों का उपभोग करता है और उसे सर्वर द्वारा स्वयं को प्रामाणिकृत (Authenticate) कराना पड़ता है। एक सर्वर कई अलग अलग क्लायन्टों को सेवा दे सकता है और एक क्लायन्ट कई अलग अलग सर्वरों की सेवा ले सकता है। क्लायन्ट और सर्वर निजि (Private) नेटवर्को में भी हो सकते हैं।

क्लाइंट की प्रकृति एवमं कार्य के आधार पर इन्हें तीन भागो में विभक्त किया जा सकता है-- 1. फैट क्लाइंट (fat client)- इसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के आँकड़ो को सरलता से प्राप्त किया जा सकता है। इसकी निर्भरता सर्वर पर आंशिक रूप से होती है। इसका प्रमुख उदहारण पर्सनल कंप्यूटर होता है, जिसमे विभिन्न प्रकार के आँकड़े भरे होते हैं।

2.थिन क्लाइंट (thin client)- इसके द्वारा उस कंप्यूटर के श्रोतों का उपयोग किया जाता है जोकि पोषक या मुख्य श्रोत के रूप में कार्य करता है। जैसे विभिन्न प्रकार के आँकड़े ऑफिस वेब apps के माध्यम से प्राप्त किए जा सकते हैं।

3.हाइब्रिड क्लाइंट (hybrid client)- यह फैट और थिन क्लाइंट का संयुक्त रूप माना जाता है। फैट क्लाइंट के रूप में यह स्थानीय रूप से आँकड़ो के संग्रहण का कार्य करता है परंतु इस प्रक्रिया में इसको सर्वर के ऊपर निर्भरता प्रदर्शित करनी पड़ती है। दूसरे शब्दों में फैट क्लाइंट की तरह यह मल्टीमीडिया का समर्थन करता है तथा थीं क्लाइंट की तरह प्रबंधकीय क्षमता एवम् लोचशीलता का प्रदर्शन करता है।