वैद्युत इंजीनियरी एवं यांत्रिक इंजीनीयरी के सन्दर्भ में किसी तंत्र की साम्यावस्था के बाद उसमें किसी प्रकार का परिवर्तन करने के तुरन्त बाद तंत्र की अनुक्रिया (रिस्पांस) को उसकी क्षणिक अनुक्रिया (transient response) कहते हैं। इसे 'अस्थाई अनुक्रिया' या 'प्राकृतिक अनुक्रिया' (natural response) भी कहते हैं। क्षणिक अनुक्रिया केवल 'बन्द/चालू' (आन/आफ) करने पर ही नहीं होती, यह साम्य को प्रभावित करने वाली किसी भी क्रिया से बाद हो सकती है। उदाहरण के लिए, श्रेणीक्रम में जुड़े किसी अनावेशित संधारित तथा प्रतिरोध को एक १२ वोल्ट की बैटरी से जोड़ने पर संधारित्र की वोल्टता शून्य से बढ़ते हुए इक्सपोनेंशियल तरीके से १२ वोल्ट की तरफ जाती है। इसे इस परिपथ की क्षणिक अनुक्रिया कहेंगे।

अवमंदित कम्पन : बहुत से तंत्रों की क्षणिक अनुक्रिया इससे मिलती-जुलती है। किन्तु कुछ तंत्रों की क्षणिक अनुक्रिया बिना किसी कम्पन के अपने स्थाई मान की ओर अग्रसर होती है, जिसे अति-अवमंदित अनुक्रिया (ओवरडैम्प्ड रिस्पॉन्स) कहते हैं।

वास्तव में क्षणिक अनुक्रिया किसी भी तंत्र में होती देखी जा सकती है। उदाहरण के लिए किसी देश की कराधान व्यवस्था में कोई बड़ा परिवर्तन करने पर उत्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्षणिक अनुक्रियाओं के कुछ समय बाद तंत्र पुनः साम्यावस्था को प्राप्त हो जाता है जिसे 'स्थाई अवस्था' कहते हैं। किसी तंत्र में क्षणिक अनुक्रिया से आरम्भ करके 'अस्थाई अवस्था' में आने का समय उस तंत्र के 'कालांक' (time constant) को बताने का एक तरीका है। उदाहरण के लिए किसी तंत्र का कालांक २ सेकेण्ड है तो इसका मतलब है कि किसी परिवर्तन के बाद वह तंत्र लगभग ५ x २ सेकेण्ड = १० सेकेण्ड में स्थाई अवस्था में आ जाएगा।

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