खंडूभाई कसनजी देसाई (1898 - 1975) एक प्रसिद्ध श्रमिक नेता एवं , स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ थे, उन्हें भारत की संविधान सभा के लिए मनोनीत किया गया था। बाद में उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल में केन्द्रीय श्रममंत्री के रूप कार्य किया।

स्वतंत्रता सेनानी

परिचय संपादित करें

खंडू भाई देसाई का जन्म 23 अक्टूबर, 1898 ई. को गुजरात के वलसाड ज़िले में हुआ था। वलसाड में आरंभिक शिक्षा के बाद वे मुम्बई के विलसन कॉलेज में भर्ती हुए। परंतु 1920 में महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन में कॉलेज का बहिष्कार करके बाहर आ गए। बाद में गांधीजी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ अहमदाबाद में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की थी।

श्रमिक आंदोलन

खंडू भाई देसाई शीघ्र ही श्रमिक आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उन्होंने अहमदाबाद के सूती मिल मज़दूरों के संगठन ‘मजूर महाजन’ का काम अपने हाथों में लिया। अनुसूया बेन, सारा भाई, शंकरलाल बेंकर, गुलज़ारीलाल नन्दा आदि उनके सहकर्मी थे। खंडू भाई ने श्रमिकों के स्वदेशी और स्वाभिमान की भावना का प्रचार किया। धीरे-धीरे श्रमिक संगठन का विस्तार होने लगा। फलस्वरूप ‘इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस’ की स्थापना हुई और 1947 में खंडू भाई देसाई इसके प्रथम सचिव चुने गए।

1950 से 1953 तक इस संस्था के अध्यक्ष भी रहे। 1950 में इन्होंने ‘विश्व श्रमिक संघ’ में भारत के श्रमिकों का प्रतिनिधित्व किया। 1962 में विश्व के स्वतंत्र श्रमिक संघों के सम्मेलन में भी वे भारत के प्रतिनिधि थे।

राजनैतिक जीवन संपादित करें

खंडू भाई देसाई की गतिविधियां अन्य क्षेत्रों में भी उतनी महत्त्वपूर्ण रहीं। 1937 में वे बॉम्बे राज्य विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1946 में देश की संविधान सभा के सदस्य मनोनीत किये गए।।

(1950 से 1952) तक उन्होंने अस्थायी संसद के सदस्य के रूप कार्य किया। खडुंभाई कांग्रेस प्रत्याशी के रूप 1952 के संसदीय चुनावों में महेसाणा-(वेस्ट) संसदीय सीट से, लोकसभा के सदस्य चुने गए।

(1954 से 1957) तक उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की केंद्रीय सरकार में श्रम मंत्री के रूप कार्य किया।इसके बाद (1959 से 1966) तक राज्यसभा के सदस्य रहे।

(11अप्रैल 1968 से 25 जनवरी 1975) तक उन्होंने आंध्र प्रदेश के 5वें राज्यपाल के रूप कार्य किया। राज्यपाल पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद वह अहमदाबाद में रहने लगे, और वही 17 अप्रैल 1975 को उनका निधन हो गया।