खगोलीय पिंड या खगोलीय वस्तु ऐसी वस्तु को कहा जाता है जो ब्रह्माण्ड में प्राकृतिक रूप से पायी जाती है, यानि जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की होती है। इसमें तारे, ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, गैलेक्सी, उल्का पिंड, ब्लैक होल, पल्सर, आदि।

उल्लेखनीय खगोलीय पिंडों की व्याख्या के लिए ज्ञात ब्रह्मांड का लघुगणक मानचित्र

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खगोलीय वस्तु को अंग्रेज़ी में "सॅलॅस्टियल बॉडी" (celestial body) और उर्दू-फ़ारसी में "अजराम फ़लकी" (اجرام فلکی‎) या "अजराम आसमानी" कहा जाता है।

ये ऐसी वस्तुएँ है जो प्रथ्वी के वातावरण से पूर्णतया बाहर है | जैसे कि चंद्रमा , सूर्य ,तथा दूसरे ग्रह ।ये सभी तो बहुत ही छोटे खगोलीय पिंड हें । इनके अलावा कई तो ऐसे हैं जो बहुत बड़े भी हैं । कुछ ग्रहों के बीच-बीच मे रिंग नुमा सरंचना मे पिंड फैले रहते हैं । जैसे की कुपलेर रिंग में कई सारे एस्ट्रोइड्स ( पिंड ) बहुत अधिक मात्र में फैले हुए हें ।

खगोलीय पिंडों का अध्ययन संपादित करें

इन वस्तुओं का अध्ययन करने के लिए प्राकृतिक खगोलीय पिंडों के अलावा, मानव निर्मित वस्तुओं जैसे कृत्रिम उपग्रह और अंतरिक्ष जांच मिशन को अंतरिक्ष में भेजा गया है। खगोलविद पृथ्वी से आकाशीय पिंडों का अध्ययन और निरीक्षण करने के लिए दूरबीन जैसे विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते हैं। इन वस्तुओं के स्पेक्ट्रम का विश्लेषण करने के लिए स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है, और इन आकाशीय पिंडों के गुणों को मापने के लिए विभिन्न तकनीकों जैसे ऑकल्टेशन और एस्ट्रोमेट्री का उपयोग किया जाता है।

आकाशीय पिंडों का अध्ययन आधुनिक खगोल विज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इसका उपयोग ब्रह्मांड और इसके विकास के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इन वस्तुओं के गठन और विकास को समझने से हमें अपनी आकाशगंगा और बड़े ब्रह्मांड के विकास को समझने में मदद मिलती है।

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