खजुहा फतेहपुर जिले का एक उपखंड (ब्लॉक) है । खजुहा जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर पर स्थित है। खजुहा में खजूर के पेड़ होने के कारण इस शहर का नाम खजुहा पड़ा। खजुहा के प्रमुख पर्यटक स्थलों में बावन इमली, माँ पांथेश्वरी शक्ति पीठ, तुलाराम तालाब, राणन तालाब प्रमुख है। खजुहा मुगल रोड पर स्थित हैं, तथा अनेको नामी गिरामी लोगो की जन्मभूमि रहा है। खजुहा का इतिहास५००० वर्षों से भी ज्यादा प्राचीन है तथा खजुहा का एतिहासिक मेला पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है। खजुहा में 3 इंटर कालेज व 2 डिग्री कालेज है। शिक्षा के क्षेत्र में खजुहा का जिले में बहुत ही महत्व है। खजुहा मे नवंबर माह मे प्रत्येक वर्ष एक प्रसिद्ध मेले का आयोजन होता है, जिसे देखने के लिए कई जनपदों व प्रदेशो के लोग लाखो की संख्या मे खजुहा मे एकत्रित होते है।खजुहा मे यी बावन इमली नामक एक प्रसिद्ध शहीद स्थल है जो देश की आज़ादी मे शहीद हुवे लोगो की स्मृति मे राज्य सरकार द्वारा निर्मित है। षयहां  एक ऐसी रहस्यमयी सुरंग आज भी मौजूद है l इस सुरंग को 350 साल पहले मुगल शासक औरंगजेब ने बनवाया था। इसका नाम बागबाद शाही है। यहां दशहरा के बाद रामलीला मनाने की परंपरा लगभग 525 वर्ष से चली आ रही है l यह रामलीला रामनगर (बनारस) सहित पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है, जो आश्विन शुल्क पक्ष की तृतीया से शुरू होकर कार्तिक पक्ष कीष्ठी तक चलती है l