खदिरवनी बौद्ध देवी तारा का एक रूप हैं। इस शब्द का अर्थ होता है - 'खैर के वन में रहनेवाली'। यह हरितवर्ण, वरद मुद्रा में तथा कमल धारण किए अंकित की जाती हैं। 'अशोक कांता' और 'एकजटा' इनकी सहचरी कही गई हैं।

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