खवासा का नरभक्षी नाम से एक बाघ को जाना जाता है जिसने अंग्रेजी शासन के समय मध्य प्रदेश के खवासा नामक ग्राम के आस पास अपना आतंक फैलाया था। यहाँ के एक बाघ को एक अंग्रेज़ ने अपना शिकार बनाने का असफ़ल प्रयास किया जिसके परिणामस्वरूप वह बाघ शारीरिक रूप से अक्षम हो गया और अपने प्राकृतिक शिकार को मारने के भी योग्य न रहा, फ़लस्वरूप उसने मनुष्यों पर हमला करना आरम्भ कर दिया। एक समय ऐसा आया जब इस गाँव में कुछ ही लोग रह गये, जो भय ग्रस्त थे और अपनी संभावित मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस घटना का उल्लेख बी एम क्रोकर लिखित एक अंग्रेजी उपन्यास जंगल टेल्स मे मिलता है।[1]


एक शशि नाम की स्त्री ने अपने को बाघ के शिकार के लिए चारे के रूप में प्रस्तुत किया और बाघ मारा गया। यह हृदय विदारक कथा भारतीय वनों, जंगली जानवरों और विदेशी शासकों की शिकार जैसी दानवी प्रवृत्तियों के साथ-साथ भारतीय संस्कृति और मनोभावों को प्रस्तुत करती है। यह उस स्त्री के बलिदान की करूण कहानी है।[2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "जंगल टेल्स". मूल से 3 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2010.
  2. "खवासा का आदमखोर". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2010.

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