खानदान (1965 फ़िल्म)
खानदान 1965 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसमें सुनील दत्त, नूतन, ओम प्रकाश, ललिता पवार और मुमताज़ मुख्य सितारें हैं। इसका निर्देशन ए॰ भीम सिंह ने किया है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई थी। फ़िल्म का मशहूर संगीत रवि ने तैयार किया है।
खानदान | |
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खानदान का पोस्टर | |
निर्देशक | ए॰ भीम सिंह |
निर्माता | वासु मेनन |
अभिनेता |
सुनील दत्त, नूतन, ओम प्रकाश |
संगीतकार | रवि |
प्रदर्शन तिथियाँ |
22 सितंबर, 1965 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कहानी
संपादित करेंदो युवक जीवनदास (ओम प्रकाश) और शंकर (मनमोहन कृष्ण) को अपने पिता रामस्वरूप लाल के निधन पर कृषि भूमि का एक बड़ा क्षेत्र विरासत में मिलता है। जीवनदास भगवन्ती (ललिता पवार) से शादी करता है लेकिन वे निःसंतान हैं, जबकि शंकर पार्वती से शादी करता है और उनके दो बेटे हैं, गोविन्द (सुनील दत्त) और श्याम। दुर्घटना (बिजली का झटका) के कारण गोविन्द अपने दाहिने हाथ में लकवाग्रस्त हो जाता है। भविष्य में कई साल बाद, श्याम (सुदेश कुमार) शहर में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाता है लेकिन लौटने पर पाता है कि परिवार असहमति और कड़वाहट से दो भागों में विभाजित हो चूका है। एक तरफ जीवनदास, भगवन्ती, श्याम, नवरंगी (प्राण) और नीलिमा (मुमताज़) और दूसरी तरफ गोविन्द, उसकी पत्नी राधा (नूतन), शंकर (मनमोहन कृष्ण) और पार्वती। वह एक हाथी खरीदने के लिए इस बार श्याम से पैसे उधार लेता है। गोविन्द और राधा जल्द ही एक पूरी तरह से स्वस्थ बच्चे नवजीवनदास लाल के जन्म का जश्न मनाते हैं।
बाद में, नवरंगी मेले में हाथी का उपयोग करके एक शो करने का इरादा रखता है जहां एक लड़के को सूंड से फेंक दिया जाएगा। वह इसके लिए गोविन्द के बेटे का उपयोग करने का इरादा रखता है। बाद में, नवजीवनदास का नवरंगी द्वारा अपहरण कर लिया जाता है। गोविन्द और राधा मेले में जाते हैं और नवजीवनदास को बचाते हैं। नवरंगी गोविन्द पर हमला करता है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, गोविन्द का अपाहिज हाथ ठीक हो जाता है और वह नवरंगी से लड़ता है। क्षण भर बाद, जब नवरंगी गोविन्द और श्याम को मारने वाला होता है, जीवनदास और बाकी परिवार आ जाते हैं। बाद में, नवरंगी को गिरफ्तार कर लिया जाता है और गोविन्द और श्याम घर को अलग करने वाली दीवार को तोड़ देते हैं। अंत में, जीवनदास परिवार के बाकी लोगों के साथ मिलकर प्रार्थना करता है।
मुख्य कलाकार
संपादित करें- सुनील दत्त — गोविन्द लाल
- नूतन — राधा गोविन्द लाल
- ओम प्रकाश — जीवनदास लाल
- ललिता पवार — भगवन्ती जीवनदास लाल
- प्राण — नवरंगी लाल
- मनमोहन कृष्ण — शंकर लाल
- सुलोचना चटर्जी — पार्वती शंकर लाल
- सुदेश कुमार — श्याम लाल
- मुमताज़ — नीलिमा श्याम लाल
संगीत
संपादित करेंसभी गीत राजेन्द्र कृष्ण द्वारा लिखित; सारा संगीत रवि द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "ओ बड़ी देर भई नंदलाला" | मोहम्मद रफ़ी | 3:53 |
2. | "कल चमन था आज एक सेहरा हुआ" | मोहम्मद रफ़ी | 4:35 |
3. | "नील गगन पर उड़ते बादल" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 4:02 |
4. | "मेरी मिट्टी में मिल गई" | आशा भोंसले, उषा मंगेशकर | 5:35 |
5. | "तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी पूजा" | लता मंगेशकर | 5:49 |
6. | "ओ बल्लो सोच के मेले जाना" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 4:13 |
7. | "आ डांस करें थोड़ा रोमांस करें" | मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले | 2:50 |
8. | "मैं सुनाता हूँ तुझे एक कहानी" | मोहम्मद रफ़ी | 5:29 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1966 | सुनील दत्त | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार | जीत |
रवि | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार | जीत | |
लता मंगेशकर ("तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी पूजा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायन पुरस्कार | जीत | |
राजेन्द्र कृष्ण ("तुम्हीं मेरे मन्दिर तुम्हीं मेरी पूजा") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार | जीत |