खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम

खान और खनिज (विनियमन और विकास) अधिनियम (1957) भारत की संसद का एक अधिनियम है जो भारत में खनन क्षेत्र को विनियमित करने के लिए बनाया गया है। इसे 2015 और 2016 में संशोधित किया गया था। यह अधिनियम भारत में खनन विनियमन का बुनियादी ढांचा बनाता है।[1]

खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम
संघ के नियंत्रण के तहत खानों और खनिजों के विकास और विनियमन के लिए एक अधिनियम है।
शीर्षक Act 67 of 1957
द्वारा अधिनियमित भारतीय संसद
अधिनियमित करने की तिथि 28 दिसंबर 1957
स्थिति : प्रचलित

यह अधिनियम लघु खनिजों एवं परमाणु खनिजों को छोड़कर सभी खनिजों पर लागू होता है। इसमें भारत में खनन या पूर्वेक्षण लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया और शर्तों का विवरण दिया गया है। गौण खनिजों का खनन राज्य सरकारों के दायरे में आता है।[1]नदी की बालू को एक गौण खनिज माना जाता है।[2]वन भूमि में खनन और पूर्वेक्षण के लिए,पर्यावरण और वन मंत्रालय से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है।[3]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Ibp Usa (20 March 2009). India Energy Policy, Laws and Regulations Handbook. Int'l Business Publications. पृ॰ 163. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4387-2292-4. अभिगमन तिथि 9 March 2015.
  2. D. Padmalal; K. Maya (2014). Sand Mining: Environmental Impacts and Selected Case Studies. Springer. पृ॰ 128. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-94-017-9144-1. अभिगमन तिथि 9 March 2015.
  3. Alyson Warhurst; Maria Ligia Noronha (17 September 1999). Environmental Policy in Mining: Corporate Strategy and Planning. CRC Press. पृ॰ 296. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-56670-365-9. अभिगमन तिथि 9 March 2015.

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें