खामोशी (1996 फ़िल्म)

1996 की संजय लीला भंसाली की फ़िल्म

खामोशी: दि म्युज़िकल 1996 में बनी हिन्दी भाषा की संगीतमय नाट्य फिल्म है। इसमें नाना पाटेकर, मनीषा कोइराला, सलमान ख़ान, सीमा बिस्वास और हेलन ने भूमिका निभाई और इससे संजय लीला भंसाली ने निर्देशन की शुरुआत की। फिल्म ने कई पुरस्कार जीते।

खामोशी

खामोशी का पोस्टर
निर्देशक संजय लीला भंसाली
लेखक सुतापा सिकदर (संवाद)
पटकथा संजय लीला भंसाली
अभिनेता नाना पाटेकर,
सलमान ख़ान,
मनीषा कोइराला,
सीमा बिस्वास,
हेलन,
हिमानी शिवपुरी,
रघुवीर यादव
संगीतकार जतिन-ललित
प्रदर्शन तिथियाँ
9 अगस्त, 1996
देश भारत
भाषा हिन्दी

संक्षेप संपादित करें

कहानी गोवा में एक बधिर और मूक दंपति जोसेफ (नाना पाटेकर) और फ्लैवी ब्रगेंज़ा (सीमा बिस्वास) के बारे में है। उनके पास एक बच्ची है, ऐनी (प्रिया परुलेकर), जो बोलने और सुनने में सक्षम है। कुछ साल बाद उनके पास एक और बच्चा होता है। सैम नाम का ये लड़का भी बोल और सुन सकता है। ऐनी का जीवन दो दुनिया में बंटा हुआ है - एक उसके माता-पिता के साथ और एक संगीत के साथ, जिसे वह प्यार करती है। ऐनी को अपनी दादी, मारिया ब्रगेंज़ा (हेलन) से अपनी संगीत प्रेरणा मिलती है।

कुछ साल बाद, सैम की दुखद मौत के बाद, ऐनी (मनीषा कोइराला) का जीवन बिखर जाता है और वह संगीत और गायन से दूर हो जाती है। जब ऐनी बड़ी हो जाती है तो वह राज (सलमान ख़ान) के साथ एक बार फिर संगीत के संपर्क में आती है, जिसे वह प्यार करती है। वह फिर से गायन शुरू कर देती है। जब ऐनी गर्भवती हो जाती है, तो उसके पिता उसे बच्चे को त्यागने के लिए कहते हैं क्योंकि यह परिवार के लिये अपमान की बात है। ऐनी अपने चर्च और धर्म के खिलाफ जाने से इंकार कर देती है। जब जोसेफ को यह पता चलता है, तो वह ऐनी से घर छोड़ने को कहता है। राज ऐनी के पिता को मनाने की कोशिश करता है कि वह एक अच्छा लड़का है, लेकिन जोसेफ उसे नापसंद करता है। मुख्य रूप से इसलिये क्योंकि वह हिंदू है जो गोवा में नहीं रहता, इसलिए ऐनी को उससे दूर रहना होगा।

ऐनी राज से शादी करती है और एक लड़के को जन्म देती है, जिसे वे उसके भाई सैम का नाम देते हैं। वह, राज, और सैम साथ मिलकर जोसेफ के घर जाते हैं। जोसेफ ऐनी के लड़के को स्वीकार करता है और राज को भी अपने दामाद के रूप में स्वीकार कर लेता है। फिर ऐनी और राज विनाशकारी दुर्घटना में आ जाते हैं; ऐनी गंभीर रूप से घायल हो जाती है और कोमा में चली जाती है। जोसेफ, फ्लैवी और राज उसे पुनर्जीवित करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। यहाँ तक ​​कि सैम के लिए उसे भावनात्मक रूप से तड़पाने की कोशिश भी वो लोग करते हैं। अंत में जोसेफ का मूक "भाषण" और फ्लैवी का प्यार और आशा, ऐनी को चेतना में वापस ले आती है।

मुख्य कलाकार संपादित करें

संगीत संपादित करें

सभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित।

क्र॰शीर्षकसंगीतकारगायकअवधि
1."बाहों के दरमियाँ दो प्यार"जतिन-ललितहरिहरन, अलका याज्ञनिक6:49
2."आँखों में क्या है"जतिन-ललितकुमार सानु7:24
3."गाते थे पहले अकेले"जतिन-ललितकविता कृष्णमूर्ति, श्रद्धा पंडित, खुशनुम5:56
4."जाना सुनो हम तुमपे"जतिन-ललितउदित नारायण5:13
5."आज मैं ऊपर"जतिन-ललितकविता कृष्णमूर्ति, कुमार सानु5:31
6."ये दिल सुन रहा है"जतिन-ललितकविता कृष्णमूर्ति6:05
7."सागर किनारे दो दिल"जतिन-ललितउदित नारायण, सुलक्षणा पंडित, जतिन पंडित5:59
8."मौसम के सरगम को"जतिन-ललितकविता कृष्णमूर्ति, श्रद्धा पंडित6:27
9."शिंग—ए—लिंगा"रेमो फर्नांडीसरेमो फर्नांडीस, डोमिनिक सेरेजो5:34
10."हुईआ हुईआ हो"रेमो फर्नांडीसरेमो फर्नांडीस, डोमिनिक सेरेजो4:27

नामांकन और पुरस्कार संपादित करें

वर्ष नामित कार्य पुरस्कार परिणाम
1997 फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार नामित
नाना पाटेकर फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार नामित
मनीषा कोइराला फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार नामित
हेलन फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार नामित
सीमा बिस्वास फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार नामित
जतिन-ललित फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार नामित
मजरुह सुल्तानपुरी ("आज मैं ऊपर") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ गीतकार पुरस्कार नामित
कविता कृष्णमूर्ति ("आज मैं ऊपर") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार जीत
अलका याज्ञिक ("बाहों के दरमियाँ") फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार नामित

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें