ख़ारिजी خارجي‎ (या बहुवचन में अल ख़वारिज) इस्लाम के अनुयायियों का एक समूह अथवा संप्रदाय (फ़िरक़ा) था जो पहली सदी ई.पू. में अस्तित्व में आया, जब प्रथम इस्लामी अंतर्युद्ध (पहला फ़ित्ना) हुआ और तीसरे ख़लीफ़ा उस्मान बिन अफ़्फ़ान की हत्या कर दी गयी। ये वो फ़िरक़ा था जिसने इस्लाम के चौथे खलीफ़ा हज़रत अली बगावत की, इस बुनियाद पर, कि अली ने मुआविया से सुलह कर ली। इस्लाम के कुछ कट्टर समर्थक इस बात से नाराज़ हो कर अली के खिलाफ हो गए और ख़वारिज कहलाये। अली ने इन्हें इराक मे जंग-ए-नेहरवान में हराया था और इसी समूह के एक व्यक्ति ने अंततः इराक के कूफ़ा शहर में अली पर हमला कर के उन्हें मार दिया।

ख़ारिजी शब्द, ख़ुरूज से उत्पन्न है जिसका अर्थ है अपनी सीमा से आगे बढ़ना