खालसा बहादुर ( पंजाबी; ਖਾਲਸਾ ਬਹਾਦਰ), पंजाबी कवि चूहर सिंह द्वारा रचित 55 पृष्ठ लंबी एक महा कविता है जो सारागढ़ी के युद्ध में सिख सैनिकों की वीरता और बलिदान का वर्णन करती है। पंजाबी भाषा में लिखित इस कविता का लेखन कार्य 13 नवंबर, 1915 को पंजाब (भारत) के पटियाला जिले के बलियाल में पूरा हुआ। लेखक ने छुट्टी पर आये सिख सैनिकों की सूचना को उपयोग कर इस कविता को पूरा किया था।

सार संपादित करें

कविता भगवान, सिख गुरुओं और सिख पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब की प्रार्थना के साथ शुरू होती है। कविता उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत में 36 वीं सिख रेजिमेंट के सैनिकों और पठान कबायलियों के मध्य हुए संघर्ष की कहानी कहती है। कविता सारागढ़ी के युद्ध की कथा सुनाती है और सारागढ़ी, अमृतसर और फिरोजपुर में सिख सैनिकों के सम्मान में बनाए गए स्मारकों का वर्णन करके समाप्त होती है।

सन्दर्भ संपादित करें