खासी एवं जयंतिया पहाड़ियाँ

-खांसी और जयंती पहाड़ियों के कुछ भागो में बरसात 100 सेंटीमीटर से ऊपर होती है|

खासी और जयन्तिया भारत के पूर्वोत्तर में स्थित पर्वतीय क्षेत्र हैं। ब्रिटिश काल में ये क्षेत्र असम प्रान्त के भाग थे। अब ये मेघालय के अन्तर्गत आते हैं। यह दक्षिण भारत के छोटानागपुर पठार के अंतर्गत राजमहल की पहाड़ी का पूर्वी विस्तार माना जाता है। छोटा नागपुर का पठार और गारो पहाड़ी एक गैप का निर्माण करते हैं। वास्तव में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के निक्षेप को लगातार जमा करते रहने से यह एक मैदानी भाग में तब्दील हो गया है और कालांतर में कुछ हिस्सा बंगाल की खाड़ी में डूब गया है। इस गैप को मालदा गैप या राजमहल गारो गैप कहा जाता है। गारो, खासी, जयंतिया पहाड़ी के उत्तर में रेगमा और मिकिर पहाड़ी जबकि उत्तर पूर्व में कार्बी एनालॉग की पहाड़ी इसकी सीमा बनाती है।

खासी पहाड़ी की विशेषता इसकी कीपनुमा आकृति है जहां हवाएं प्रवेश तो करती हैं लेकिन बाहर नहीं निकल पाती है। जिसके फलस्वरूप हवाएं ऊपर उठती है और संघनित होकर खूब बारिश करती है। कुछ ही समय में यहां 1400 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो जाती है। विश्व में सर्वाधिक वर्षा वाला क्षेत्र मासिनराम इन्हीं पहाड़ी पर स्थित है। इसके अलावा चेरापूंजी और सोहरा जगह भी यहीं स्थित है।

गारो, खांसी एवं जयंतियां पहाड़िया पूर्वांचल हिमालय का भाग नहीं है यह प्रायद्वीपीय भारत का भाग है। यह प्राचीन पहाड़ी है जबकि हिमालय नवीन पहाड़ी है। इनका नामकरण यहां की जनजातियों के नाम पर किया गया है।