खुखुंदू (Khukhundoo) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के देवरिया ज़िले में स्थित एक बस्ती है।[1][2]

खुखुंदू
Khukhundoo
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कहौम स्तम्भ पर जैन तीर्थंकर की प्रतिमा
कहौम स्तम्भ पर जैन तीर्थंकर की प्रतिमा
खुखुंदू is located in उत्तर प्रदेश
खुखुंदू
खुखुंदू
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 26°23′42″N 83°50′17″E / 26.395°N 83.838°E / 26.395; 83.838निर्देशांक: 26°23′42″N 83°50′17″E / 26.395°N 83.838°E / 26.395; 83.838
ज़िलादेवरिया ज़िला
राज्यउत्तर प्रदेश
देश भारत
जनसंख्या (2011)
 • कुल7,436
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

जैन तीर्थ संपादित करें

खुखुंदू में जैन धर्म के तीर्थंकर सुविधिनाथ (पुष्पदन्त) का जन्म हुआ था। यहाँ कई मंदिरों का परिसर था लेकिन एक को छोड़कर अन्य खंडहर हैं। सन् 1874 में राय बहादुर मूलचन्द ने यहाँ एक जैन मंदिर का निर्माण करवाया, जिसमें नेमिनाथ, पुष्पदन्त और पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ स्थापित करी गई।

स्कन्दगुप्त का कहौम स्तम्भ संपादित करें

 
कहौम स्तम्भ पर स्कन्दगुप्त का शिलालेख

पाँचवी शताब्दी ईसवी में गुप्त राजवंश के सम्राट स्कन्दगुप्त ने यहाँ एक 8 मीटर (26 फुट) ऊँचा स्तम्भ बनवाया, जिसे कहौम स्तम्भ बुलाया जाता है। इस स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में जैन धार्मिक लिखाईयों के साथ-साथ पार्श्वनाथ व अन्य जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएँ हैं।

स्तम्भ पर लिखाई संपादित करें

सिद्धी प्राप्त हुई है! स्कन्दगुप्त के शान्त शासन में, जिनके दरबार में सौ राजाओं के सिर झुकने से हवा चलती है; जो गुप्त वंश में पैदा हुए हैं; जिनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है; जो समपन्नता में सभी से आगे हैं; जिनका स्वरूप (देवता) शक्र के समान है: और जो सौ राजाओं के स्वामि हैं - सौवें वर्ष में, तीस और दस और एक की वृद्धि के साथ; ज्येष्ठ का महीना आने पर।

इस रत्न-रूपी गाँव में, जिसे लोग काकुभ के नाम से जानते हैं और जो पवित्र पुरुषों के सम्बन्ध से स्वयं पवित्र जो चुका है, इसमें उच्च-बुद्धि का भट्टीसोम था, जो शदमील का पुत्र था, और कई सुगुणों का प्राप्तकर्ता था। उनका पुत्र रुद्रसोम, महान बुद्धि और ख्याति वाला, जिन्सा अन्य नाम व्याघ्र था। उनका बेटा मद्र, जिसमें ब्राहमणों, धर्मगुरुओं और सन्यासियों के लिए विशेष स्नेह था।

उन्होंने, विश्वभर में अनंत परिवर्तनों की शृंखला देखते हुए, स्वयं के लिए धार्मिक पुण्यों का बड़ा भंडार एकत्रित करा। सभी जीवों के अंतिम मोक्ष और कल्याण के लिए, पाँच श्रेष्ठ प्रतिमाएँ, पत्थर की, उनकी जो धर्मव्रतों का पालन करने वाले अरहंतों के पथ के मार्गदर्शक थे, धरती पर शिला के इस सुंदर स्तम्भ को स्थापित करा, जो सर्वश्रेष्ठ पर्वतों के शिखर जैसा दिखता है, और उसपर यश बखेरता है। - कहौम स्तम्भ पर स्कन्दगुप्त का शिलालेख[3]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  3. Public Domain text Fleet, John Faithfull. Corpus Inscriptionum Indicarum Vol. 3. पपृ॰ 67–68.