खूनी रविवार (1905)
जार की घोषणाओं से सुधारवादी संतुष्ट नहीं थे। अब इस आंदोलन में श्रमिक वर्ग भी सम्मिलित हो गया। जनवरी 1905 में राजधानी सेंट पीटर्सबर्ग में हड़तालें हुई। श्रमिक संगठन पर एक उदारवादी पादरी, फादर गेपन का प्रभाव। यह संगठन श्रमिकों की आर्थिक समस्याओं पर विचार करने के लिए बनाया गया था लेकिन श्रमिक वर्ग में राजनीतिक जागृति बढ़ रही थी। अतः फादर गेपन को अपना प्रभाव बनाये रखने के लिए आंदोलन को राजनीतिक रूप भी देना पड़ा। उसके नेतृत्व में राजधानी के श्रमिकों ने कई माँगों के लेकर हडताल कर दी। वार्ता असफल होने के बाद गेपन ने जार के समक्ष याचिका प्रस्तुत करने का निश्चय किया। 22 जनवरी, 1905 को रविवार के दिन उसके नेतृत्व में हजारों श्रमिकों का जुलूस शांतिपूर्ण था लेकिन महल के सामने मैदान में सैनिकों ने उस पर गोलियाँ चलायीं जिससे सैकड़ों प्रदर्शनकारी मारे गये। इस घटना से क्रांति आंरभ हो गयी।