ख़ैबर पख़्तूनख़्वा

पाकिस्तान का प्रान्त
(खैबर पख्तूनख्वा से अनुप्रेषित)

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा पाकिस्तान का एक प्रान्त या सूबा है। जो 2018 में संविधान संशोधन उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रान्त (NWFP) और संघ प्रशासित आदिवासी क्षेत्र (FATA) के विलय के पश्चात अस्तित्व में आया है। इसे सूबा-ए-सरहद के नाम से भी जाना जाता है जो अफ़ग़ानिस्तान की सीमा पर स्थित है।

ख़ैबर पख़्तूनख़्वा
خیبر پښتونخوا
प्रान्त
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा का झंडा
ध्वज
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा का आधिकारिक सील
सील
उपनाम: सरहद, उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त
पाकिसतान मै ख़ैबर पख़तुनखवा को दिखाया गिया है
पाकिसतान मै ख़ैबर पख़तुनखवा को दिखाया गिया है
देश पाकिस्तान
स्थापित14 आगसत 1947, re-established 1 जुलाई 1970
राजधानीपेशावर
बड़ा शेहरपेशावर
शासन
 • प्रणालीप्रान्त
 • सभाप्रान्तीय विधानसभा
 • गवरनरमेहताब अहमद ख़ान अब्बासी
 • मुखे मन्त्रीपरवैज़ ख़टक ( PTI )
 • चीफ़ सिकेट्रीअमजद अली ख़ान
 • विधानमण्डलunicameral (124 सीट)
 • हाईकोर्टपेशावर हाई कोर्ट
क्षेत्रफल
 • कुल74,521 किमी2 (28,773 वर्गमील)
जनसंख्या (2014)
 • कुल28,000,000 (estimate)
समय मण्डलPST (यूटीसी+5)
दूरभाष कोड9291
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडPK-KP
भाषाउर्दू (राष्ट्रीय)


पश्तो
हिन्दकोसराईकी
खोवर


कोहिस्तानी
प्रान्तीय विधानसभा सीटें124
ज़िले26
Union Councils986
वेबसाइटhttp://www.khyberpakhtunkhwa.gov.pk/
Provincial symbols of KPK (unofficial)
Provincial animal Straight-horned Markhor
Provincial bird White-crested Kalij pheasant
Provincial tree Indian date
Provincial flower Apple of Sodom
Provincial sport Pashtun archery
मकरा चोटी

यहाँ पर पश्तूनों की आबादी अधिक है जिन्हें स्थानीय रूप से पख़्तून भी कहते हैं। इनकी मातृभाषा पश्तो है। इस प्रान्त की जनसङ्ख्या क़रीब २,००,००,००० है जिसमें अफ़ग़ानिस्तान से आए शरणार्थियों की १५,००,००० की आबादी सम्मिलित नहीं है।

इस क्षेत्र का इतिहास ईसा पूर्व २००० वर्षों का है। इस क्षेत्र में इंडो-ईरानियन शाखा आई। माना जाता है कि सातवीं सदी ईसापूर्व में हिंदू महाजनपद गान्धार यहीं या इसी के समीप स्थित था। ईसा के २०० साल पहले बौद्ध धर्म यहाँ बहुत लोकप्रिय हुआ। मौर्यों के पतन के बाद इसपर कुषाणों का शासन आया। यह कुषाण साम्राज्य की राजधानी था और इस्लाम के आने से पहले इसपर ईरानी आकर्मण भी होते रहे है। इससे यहाँ जरथुष्ट्र के अनुयायियों की भी आबादी थी।

सातवीं सदी में चीन के पर्यटकों ने यहाँ के बौद्ध धर्म का विवरण किया है। ग्यारहवीं सदी में ग़ज़नी के महमूद ने बौद्ध तथा ज़ोरास्ट्री शाहों को हराकर अपना शासन स्थापित किया। ग़ज़नी तथा ग़ज़नी पर गोर के शासन के बाद यहाँ तुर्क तथा अरबों की जनसङ्ख्या बढ़ती गई। दिल्ली सल्तनत के शासन में भी यहाँ इस्लाम मे धर्म परिवर्तन करवाया गया। मुग़लों तथा फ़ारस के साफ़वियों के बीच इस क्षेत्र को लेकर सङ्घर्ष होता रहा। 1893 में अंग्रेज़ों ने अफ़ग़ानों से यह क्षेत्र एक समझौते में ले लिया और 1947 में जब पाकिस्तान स्वतन्त्र हुआ तो यह पाकिस्तान का अङ्ग बन गया। उत्तर पश्चिम सीमान्त प्रान्त में २४ जिले हैं।