गढ़पहरा

इसकी प्राचीनता गोंड राजा संग्राम सिंह के समय से मानी जाती है बाद में दांगी ठाकुर शासकों ने इसे जी

गढ़पहरा को पुराना सागर भी कहते हैं जो दांगी राज्‍य की राजधानी था। यह झांसी मार्ग पर सागर से करीब 10 किमी की दूरी पर स्थित है। । इस किले को राजा गोरखशाह सिंह दांगी ने बनवाया था, जिसमें 360 मौजे थे। दांगी शासको निहाल सिंह लीगल देव उदयशाह आदि ने राज किया आज भी 1747 का शिलालेख महाराजकुमार सिंह दांगी का मौजूद है।

सागर के पास गढ़पहरा स्थित शीशमहल के पुरावशेष

गढ़पहरा के अब भी कुछ ऐतिहासिक अवशेष बाकी हैं। कम ऊंचाई के क्षेत्र पर निर्मित किले के खंडहरों तक आज भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां दांगी शासकों के शीश महल के नाम से ज्ञात ग्रीष्म आवास के अवशेष भी हैं। इसका संबंध राजा जयसिंह से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि दो सौ साल पहले राजा दंग इसमें रहते थे।