गणितीय विश्लेषण
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गणितीय विश्लेषण (Mathematical analysis) शुद्ध गणित की एक शाखा है। इसके अन्तर्गत अवकलन, समाकलन, सीमा, अनन्त श्रेणी तथा वैश्लेषिक फलनों (analytic functions) के सिद्धान्त आदि आते हैं। ये सिद्धान्त प्रायः वास्तविक संख्याओं, समिश्र संख्याओं तथा वास्तविक एवं समिश्र फलनों के सन्दर्भ में अध्ययन किए जाते हैं। विश्लेषण को परम्परागत रूप से ज्यामिति से अलग गणित की श्रेणी में रखा जाता रहा है।
परिचय
संपादित करेंगणित के क्षेत्र में ग्रीक गणितज्ञों ने प्रमेय को पहले ही सिद्ध किए गए कथनों या प्रमेयों में, अथवा स्वीकृत स्वसिद्ध तथ्यों में, रूपांतरित करके सिद्ध करने की पद्धति को 'विश्लेषण' (Analysis) नाम दिया था।
व्यापक अर्थ में विश्लेषण प्रतीकों तथा समीकरणों के प्रयोग की वह पद्धति है जिसके द्वारा बीजगणित तथा अत्पलीय कलन की प्रक्रियाएँ गणित के विभिन्न क्षेत्रों की अनेक समस्याओं का समुचित हल निकालने के लिए सुलभ होती हैं।
यूरोप में सालहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी के जागरण के युग में रेने देकार्त (१५९६-१६५० ई.) की वैश्लेषिक ज्यामिति ने विश्लेषण का विशेष रूप निर्धारित किया। इसी कृति के आधार पर कलन, अवकलनगणित तथा समाकलनगणित की मूलभूत भावनाओं का विकास हुआ। आज गणितीय विश्लेषण के अंतर्गत गणित की वे सभी पद्धतियाँ हैं जो अपनी क्रियाओं के लिए किसी न किसी प्रकार कलन का अवलंब ग्रहण करती हैं।
अवकलनगणित तथा समाकलनगणित वास्तविक चर तथा समिश्रचर फलन सिद्धांत, अनंत श्रेणी, फुरिये श्रेणी एवं फूरियेर समाग्ल, विशेष फलन (Special Functions), अवकल, अंतर तथा समाकल समीकरण, विचरण कलन एवं विभयसिद्धांत (Potential Theory), प्रायिकता (Probability) और सांख्यिकी के गणितीय पक्ष आदि, इस प्रकार के सभी विषय विश्लेषण की विभिन्न शाखाएँ हैं। कुछ अन्य विषय भी समान प्रणाली का प्रयोग करने के कारण विश्लेषण का नाम ग्रहण करते हैं, जैसे संख्या सिद्धांत के अंतर्गत डायाफैंटी (diophantine) विश्लेषण, सदिश विश्लेषण आदि। परंपरागत गणितीय विश्लेषण में स्थान (topological) बीजगणित की पद्धतियों के प्रयोग के फलस्वरूप बीजगणितीय, अथवा फलनिक, विश्लेषण का जन्म हुआ है।