गणेश राजवंश
भारतीय उपमहाद्वीप के बंगाल क्षेत्र से, 1414 में राजा गणेश के साथ गणेश राजवंश की शुरुआत हुई। राजा गणेश द्वारा बंगाल पर नियंत्रण प्रतिष्ठित होने के बाद, उन्हें आक्रमण के आसन्न खतरे की सामना करना पड़ा। गणेश ने कुतुब अल आलम नामीय एक मुस्लिम संत से खतरे से वाचने की अपील की। संत ने इस शर्त पर सहमति व्यक्त की कि राजा गणेश के पुत्र यदू, इस्लाम में धर्मांतरित हो जाएंगे और उनके स्थान पर शासन करेंगे। राजा गणेश सहमत हो गए और यदू ने 1415 में जलालुद्दीन मुहम्मद शाह के रूप में बंगाल पर शासन करना शुरू किया।
1416 में कुतुब अल आलम की मृत्यु हो गई। बाद में राजा गणेश ने अपने बेटे को पदच्युत करने और दनुजमर्दन देव के रूप में सिंहासन पर लौटने के लिए प्रचेष्टा किया। जलालुद्दीन को सुनहरी गाय की रस्म द्वारा हिंदू धर्म में वापस लाया गया था। अपने पिता की मृत्यु के बाद, जलालुद्दीन ने एक बार फिर इस्लाम धर्म अपना लिया और फिर से शासन करना शुरू कर दिया।[1]जलालुद्दीन का पुत्र शम्सुद्दीन अहमद शाह ने अराजकता के कारण केवल 3 वर्षों तक शासन किया। ये राजवंश अपनी उदारवादी नीतियों के साथ न्याय और दानशीलता पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए जाना जाता है।
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१९ बी सदी के एक चित्रांकन में पहला राजा राजा गणेश
यह भी देखे
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Biographical encyclopedia of Sufis By N. Hanif, pg.320