गरिमा हाजरिका (१९३९ - ४ अगस्त १९२२) असम की एक शास्त्रीय नृत्यांगना थीं। वे सत्रीया और ओड़िसी नृत्य की विशारद थीं। भारत के विभिन्न नगरों और महानगरों में नृत्य करके उन्होंने ख्याति अर्जित की थी। उन्होंने कई नृत्य नाटिकाओं की रचना भी की थी। उनके द्वारा रचित और परिचालित 'चेतना' नामक नृत्य नाटिका को राष्ट्रीय स्तर पर समादर मिला था। गुवाहाटी में मिताली कला केन्द्र स्थापित करके उन्होंने सत्रीया और ओड़िसी नृत्यों का प्रचार-प्रसार किया। वे सेन्दूर के साथ साथ और कुछ असमिया चलचित्रों का शिल्प-निर्देशन और कोरिओग्राफी किया था।