गुणातीतानंद स्वामी
अक्षरब्रह्म गुणातितानंद स्वामी भगवान स्वामिनारायण के प्रमुख शिष्य एव बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था के प्रथम गुरु माने जाते हैं।
उनका जन्म गुजरातके भादरा गांव में हुआ था। उनका मूलनाम मुलजी शर्मा था।[1] वे बचपन से ही चमत्कारी थे। भगवान स्वामीनारायण ने उन्हे दभान गांव में सन्यासी दीक्षा दे कर उनका नाम गुणातितानंद स्वामी रखा, तत्पश्चात उन्होंने गुणातितानंद स्वामी को अपने मंदिर का महंत पद भी दिया। गुणातितानंद स्वामी मंदिर के महंत होने के बाद भी मंदिर की सफाई करते थे और रूखा-सूखा खाना खाते थे। भगवान स्वामीनारायण ने अपने स्वधामगमन पूर्व उन्हे अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बनाया।
लगभग ४० वर्षो तक गुजरात प्रदेश में विचरण कर के उन्होंने स्वामीनारायण संप्रदाय का पूरे गुजरात में प्रसार कर दिया था। अन्तकाल में उन्हों ने भगतजी महाराज को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बना के गुजरात के गोंडल राज्य में अंतर्ध्यान हो गए। उनके अग्निसंस्कार के स्थान पर आज विशाल स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण हुआ है जो अक्षर देरी नाम से विख्यात है।
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- ↑ "Shri Gunatitanand Swami – Mandir" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-05-13.