गुनाहों का देवता
गुनाहों का देवता हिंदी उपन्यासकार धर्मवीर भारती के शुरुआती दौर के और सर्वाधिक पढ़े जाने वाले उपन्यासों में से एक है।[1] यह सबसे पहले १९४९ में प्रकाशित हुई थी।[2] इसमें प्रेम के अव्यक्त और अलौकिक रूप का अन्यतम चित्रण है। सजिल्द और अजिल्द को मिलाकर इस उपन्यास के एक सौ से ज्यादा संस्करण छप चुके हैं। पात्रों के चरित्र-चित्रण की दृष्टि से यह हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में गिना जाता है।
इस उपन्यास की कहानी इलाहाबाद शहर के पृष्ठभूमि में रची गई है और यह मुख्य रूप से चंदर और सुधा के प्रेम को केंद्र में रखती है।[3]
- चंदर एक होनहार और आदर्शवादी युवक है, जो प्रोफेसर शुक्ला के संरक्षण में रहता है।
- सुधा, प्रोफेसर शुक्ला की बेटी, एक चंचल और मासूम लड़की है, जो चंदर से गहरा लगाव रखती है।
- दोनों का प्रेम बहुत गहरा होने के बावजूद सामाजिक परिस्थितियों और नैतिक मूल्यों के कारण वे एक नहीं हो पाते।
- अंततः सुधा की शादी किसी और से हो जाती है और चंदर भावनात्मक रूप से टूट जाता है।
मुख्य विषय और संदेश:
संपादित करें- त्याग और आदर्शवाद: चंदर का प्रेम निःस्वार्थ और आदर्शवादी है, लेकिन समाज की बाधाओं के कारण वह अपने प्यार को हासिल नहीं कर पाता।
- प्रेम और समाज: उपन्यास दर्शाता है कि कैसे सामाजिक मान्यताएँ और परंपराएँ सच्चे प्रेम को भी बाधित कर सकती हैं।
- भावनात्मक संघर्ष: पात्रों के मनोवैज्ञानिक पहलू और उनकी भावनात्मक उथल-पुथल को बेहद संवेदनशील तरीके से चित्रित किया गया है।
विशेषताएँ:
संपादित करें- इस उपन्यास की भाषा बेहद सरल, प्रवाहमयी और काव्यात्मक है।
- पात्रों की गहराई और मनोविज्ञान को बारीकी से उकेरा गया है।
- इसे हिंदी साहित्य के सबसे भावनात्मक उपन्यासों में से एक माना जाता है।
प्रभाव:
संपादित करें"गुनाहों का देवता" ने हिंदी साहित्य में प्रेम कहानियों के लेखन की दिशा को नया आयाम दिया। यह उपन्यास आज भी नई पीढ़ी के पाठकों को उतना ही प्रभावित करता है जितना प्रकाशित होने के समय करता था।
अगर आपको भावनात्मक और गहरी प्रेम कहानियाँ पसंद हैं, तो यह उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिए।
कहानी
संपादित करेंइस कहानी का ठिकाना अंग्रेजों के समय का इलाहाबाद रहा है। कहानी के तीन मुख्य पात्र हैं : चन्दर , सुधा और बिनती। पूरी कहानी मुख्यतः इन्ही पात्रों के इर्दगिर्द घूमती रहती है। चन्दर सुधा के पिता यानि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के प्रिय छात्रों में है और प्रोफेसर भी उसे पुत्र तुल्य मानते हैं। इसी कारण चन्दर का सुधा के यहाँ बिना किसी रोकटोक के आना-जाना लगा रहता है। धीरे-धीरे सुधा कब दिल दे बैठती है, यह दोनों को पता नहीं चलता। लेकिन यह कोई सामान्य प्रेम नहीं था। यह भक्ति पर आधारित प्रेम था। चन्दर सुधा का देवता था और सुधा ने हमेशा एक भक्त की तरह ही उसे सम्मान दिया था।
चंदर सुधा से प्रेम तो करता है, लेकिन सुधा के पिता के उस पर किए गए अहसान और व्यक्तित्व पर हावी उसके आदर्श कुछ ऐसा ताना-बाना बुनते हैं कि वह चाहते हुए भी कभी अपने मन की बात सुधा से नहीं कह पाता। सुधा की नजरों में वह देवता बने रहना चाहता है और होता भी यही है। सुधा से उसका नाता वैसा ही है, जैसा एक देवता और भक्त का होता है। प्रेम को लेकर चंदर का द्वंद्व उपन्यास के ज्यादातर हिस्से में बना रहता है। नतीजा यह होता है कि सुधा की शादी कहीं और हो जाती है और अंत में उसे दुनिया छोड़कर जाना पड़ता है।
कुशवाहा जी के साथ पम्मी के साथ चंदर के अंतरंग लम्हों का गहराई से चित्रण करते हुए भी लेखक ने पूरी सावधानी बरती है। पूरे प्रसंग में थोड़ा सेक्सुअल टच तो है, पर वल्गैरिटी कहीं नहीं है, उसमें सिहरन तो है, लेकिन यह पाठकों को उत्तेजित नहीं करता। लेखक खुद इस उपन्यास के कितने नजदीक हैं, इसका अंदाजा उनके इस कथन से लगाया जा सकता है। ..
प्रसिद्ध पंक्तियाँ
संपादित करेंइस पुस्तक की कुछ उल्लेखनिए पंक्तियाँ।
- छह बरस से साठ बरस तक की कौन-सी ऐसी स्त्री है, जो अपने रूप की प्रशंसा पर बेहोश न हो जाए।
- अविश्वास आदमी की प्रवृत्ति को जितना बिगाड़ता है, विश्वास उतना ही बनाता है।
- ऐसे अवसरों पर जब मनुष्य को गंभीरतम उत्तरदायित्व सौंपा जाता है, तब स्वभावत: आदमी के चरित्र में एक विचित्र-सा निखार आ जाता है।
- जब भावना और सौंदर्य के उपासक को बुद्धि और वास्तविकता की ठेस लगती है, तब वह सहसा कटुता और व्यंग्य से उबल उठता है।
- मनुष्य का एक स्वभाव होता है। जब वह दूसरे पर दया करता है तो वह चाहता है कि याचक पूरी तरह विनम्र होकर उसे स्वीकार करे। अगर याचक दान लेने में कहीं भी स्वाभिमान दिखाता है तो आदमी अपनी दानवृत्ति और दयाभाव भूलकर नृशंसता से उसके स्वाभिमान को कुचलने में व्यस्त हो जाता है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "गुनाहों का देवताः देश की सबसे दर्द भरी प्रेमगाथा है धर्मवीर भारती का यह उपन्यास". आज तक. 2019-09-04. Retrieved 2025-03-22.
- ↑ "1949 में छपा था ये हिंदी उपन्यास, अभी तक आ चुके हैं 82 संस्करण, प्रेम कहानी ऐसी दिल हो जाएगा छलनी- बन चुका है सीरियल". ndtv.in. Retrieved 2025-03-22.
- ↑ ERUL, Emrullah; IŞIN, Alper (2023-03-28). "ChatGPT ile Sohbetler: Turizmde ChatGPT nin Önemi (Chats with ChatGPT: Importance of ChatGPT in Tourism)". Journal of Tourism and Gastronomy Studies. doi:10.21325/jotags.2023.1217. ISSN 2147-8775.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- गुनाहों का देवता ('हिन्दी समय' पर)
- धर्मवीर भारती की मर्मस्पर्शी रचना : 'गुनाहों का देवता '