गुरबचन सिंह भुल्लर
गुरबचन सिंह भुल्लर (पंजाबी: ਗੁਰਬਚਨ ਸਿੰਘ ਭੁੱਲਰ, जन्म 18 मार्च 1937) पंजाबी भाषा के नामवर कहानीकार हैं। उसने काविता, सफ़रनामा, अनुवाद, संपादन, पत्रकारिता, रेखाचित्र, आलोचना, बालसाहित्य आदि अनेक क्षेत्रों में साहित्य रचना की है। उसके कहानी-संग्रह अग्नि-कलश (ਅਗਨੀ-ਕਲਸ) को साल 2005 में साहित्य अकादमी, दिल्ली का पुरुस्कार मिल चुका है।[2][1]
गुरबचन सिंह भुल्लर | |
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जन्म | 18 मार्च 1937 गाँव 'पित्थो'[1] |
पेशा | कहानीकार |
भाषा | पंजाबी भाषा |
काल | 1956- |
विधा | कथा |
आंदोलन | समाजवाद |
उल्लेखनीय कामs | अग्नि-कलश (ਅਗਨੀ-ਕਲਸ) |
परिचय
संपादित करेंगुरबचन सिंह भुल्लर का जन्म बठिंडा ज़िले के गाँव 'पित्थो' में 18 मार्च 1937 को हुआ था। उसने प्राथमिक शिक्षा अपने गाँव के प्राथमिक पाठशाला से प्राप्त की थी। आगे से ऊँची विद्या हासिल करने के बाद वह अध्यापक लग गया। अध्यापक यूनियन की सरगर्मियों में बढ़-चढ़ करके हिस्सा लेने के कारण से दस कु साल के बाद उसे यह नौकरी छोड़नी पड़ गई। फिर वह दिल्ली में सोवियत दूतावास में काम करने लगे। बाद में वह पंजाबी ट्रिब्यून का संपादक भी रहा। वर्तमान में वह सामान्य रूप से साहित्यक सरगर्मियों को समर्पित है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "Subtle and sensitive storyteller". The Tribune. January 8, 2006. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि March 18, 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2015.
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