गेनाडी श्लोम्पर

इज़राइल में हिन्दी के प्रोफ़ेसर और विद्वान

गेनाडी श्लोम्पर (Genady Shlomper) इज़राइल के एक हिन्दी विद्वान और प्रोफ़ेसर हैं जिन्हे न्यू यॉर्क में २००७ में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था। वे देश के हिब्रू और तेल अवीव विश्वदिद्यालय में प्रोफ़ेसर हैं जहाँ से उनकी देखरेख में २६० से अधिक छात्र हिन्दी को प्रमुख विषय के रूप में लेते हुए स्नातक का अध्ययन पूरा कर चुके हैं।[1]

प्रारंभिक जीवन और हिन्दी से रुचि

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गेनाडी मूल रूप से रूस के एक यहूदी परिवार से आते हैं। परन्तु उनकी रुचि का मुख्य केन्द्र हिन्दी भाषा रही है। इज़राइल आने के बाद उन्होंने यरुशलम विश्वविद्यालय से हिन्दी मानक ('Modality in Hindi') पर शोध करके पी० एच० डी० की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने उसी विषय और शीर्षक पर एक पुस्तक भी लिखी है जिसे जर्मनी के लिंकॉर्न-योरोपा पब्लिशिंग हाउस ने प्रकाशित किया।[1]

पाठ्यपुस्तकों और शैक्षणिक मार्गदर्शक पुस्तकों की तय्यारी

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गेनाडी ने हिन्दी मानक की ही तरह कई हिन्दी शैक्षणिक मार्गदर्शक पुस्तकों और इज़राईली पर्यटकों के लिए सहायक सी० डी० की तय्यारी में अपना योगदान दिया है, जो काफ़ी प्रसिद्ध हुए हैं।[1]

इज़राईल में हिन्दी दिवस

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गेनाडी कई सालों से इज़राइल में हिन्दी दिवस के आयोजन से जुड़े हैं, जिसमें कई भारतीय भी भाग लेते हैं। [1]

भारत का दौरा

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गेनाडी ने २०१४ में दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय में आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत का दौरा किया था। [2]

संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी की प्रमुखता का समर्थन

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गेनाडी ने संयुक्त राष्ट्र संगठन में हिन्दी को प्रमुख भाषा के तौर पर इस्तेमाल किए जाने की वकालत की है। उनके अनुसार ऐम्स्टर्डैम जैसे शहर में भी लगभग १० लाख हिन्दी बालनेवाले रहते हैं। [3]

इन्हें भी देखें

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