गैसधानी या 'गैस होल्डर' उस विशाल पात्र (container) को कहते हैं जिसमें प्राकृतिक गैस या टाउन गैस को वायुमण्डलीय दाब और सामान्य ताप पर पर संग्रहित रखा जाता है।

गैसधानी

उपभोक्ताओं के बीच गैस वितरण के पहले गैस का संग्रह करने की आवश्यकता पड़ती है। गैससंग्रह की साधारणतया तीन रीतियाँ प्रचलित हैं :

  • 1. जलसंमुद्रित टंकियाँ,
  • 2. जलरहित टंकियाँ और
  • 3. गैस के सिलिंडर

जल संमुद्रित टंकियाँ

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जलसंमुद्रित टंकियों का उपयोग बहुत दिनों से होता आ रहा है। आज भी इनका उपयोग व्यापक रूप से होता है। इसमें एक बड़ी टंकी रहती है जिसमें जल भरा रहता है। जल पर इस्पात का एक ढाँचा तैरता रहता है। जल के ऊपर गैस इकट्ठी होती है। टंकी में एक नल रहता है जो पेंदे से शिखर तक, अर्थात्‌ नीचे से ऊपर तक, जाता है। इसी नल द्वारा गैस प्रविष्ट करती अथवा बाहर निकलती है। जब गैस प्रविष्ट करती है तब ढाँचा धीरे धीरे ऊपर उठता है। जब गैस बाहर निकलती है तब ढाँचा धीरे धीरे नीचे गिरता है। ढाँचा दीवार पर स्थित झझंरी द्वारा ऊपर नीचे खिसकता है।

छोटी छोटी टंकियों के ढाँचे इस्पात के एक टुकड़े से बने होते हैं। बड़ी बड़ी टंकियों के ढाँचे दो से चार भागों में बनाकर जोड़े जाते हैं। जब टंकी में गैस नहीं रहती तब ढाँचा टंकी के पेंदे में स्थित रहता है। जैसे जैसे गैस प्रवेश करती है, ढाँचा ऊपर उठता जाता है। जब गैस से टंकी भर जाती है तब वह जलसंमुद्रित हो जाती है। संमुद्रण के जल के ठंढे देशों में बर्फ बनने से बचाने के लिये भाप से गरम रखते हैं। भारत ऐसे उष्ण देश में यह स्थिति साधारणतया नहीं आती। भारत की प्रयोगशालाओं में प्रयुक्त होनेवाली गैस ऐसी ही टंकियों में संगृहीत रहती है।

जलरहित टंकी

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जलरहित टंकी जलवाली टंकी सी ही देख पड़ती है। इसमें एक पिस्टन होता है, जो गैस के आयतन के अनुसार ऊपर नीचे जाता आता रहता है। टंकी पर छप्पर होता है, जो पिस्टन को पानी से सुरक्षित रखता है। टंकी का आधार वृत्तकार या बहुभुजाकार हो सकती है। भुजाएँ 10 से 28 तक रह सकती हैं।

गैस सिलिण्डर

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गैस सिलिंडर इस्पात के बने होते हैं। इनमें प्रति वर्ग इंच पर कई सौ पाउंड दबाव में गैस रखी जाती है। ऐसे मजबूत बने सिलिंडर का मूल्य अधिक होता है, पर इसका बार बार उपयोग किया जा सकता है। दबाव में गैस रखने के लिये ये सिलिंडर बड़े आवश्यक होते हैं। वस्तुत: गैस सिलिंडर उसी प्रकार के होते हैं जैसे सिलिंडरों में, क्लोरीन, आक्सीजन, कार्बन डाइ-आक्साइड, ऐसीटिलीन आदि औद्योगिक महत्व की गैसें रखी जाती हैं।