गोपी चंद भार्गव
गोपी चंद भार्गव (8 मार्च 1889 – 26 दिसम्बर 1966)[1] भारतीय राजनेता थे। वो 15 अगस्त 1947 से 13 अप्रैल 1949 तक और पुनः 18 अक्टूबर 1949 से 20 जून 1951 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वो 21 जून 1964 से 6 जुलाई 1954 तक तीसरी बार के लिए कार्यवाहक मुख्यमंत्री भी रहे।[2][3] वो कांग्रेस के सदस्य थे।[4][2]
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंउनका जन्म 8 मार्च 1889 को ब्रितानी भारत के पंजाब प्रान्त के सिरसा जिले में हुआ। सन् 1912 में उन्होंने मेडिकल कॉलेज (लाहौर) से एमबीबीएस की डिग्री पूरी की और सन् 1913 में चिकित्सा के पेशे में काम करना आरम्भ कर दिया।[5]
उनके भाई पंडित ठाकुर दास भार्गव भी राजनेता (कांग्रेस के सदस्य के रूप में सांसद) वकील और "विद्या प्रचारणी सभा" के संस्थापक थे। उन्होंने ने हिसार में ठाकुर दास भार्गव विद्यालय और फतेह चन्द महिला महाविद्यालय सहित विभिन्न शैक्षिक संस्थान भी खोले।[6][7][8]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Juneja, M. M. (1981). Eminent freedom fighters in Haryana. Modern Book Company. पृ॰ 77.
- ↑ अ आ Subhash Chander Arora (1991). Current Issues and Trends in Centre-state Relations: A Global View. Mittal Publications. पपृ॰ 60–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7099-307-0. अभिगमन तिथि 25 January 2018.
- ↑ "List of Chief Ministers (CM) of Punjab". Maps of India. अभिगमन तिथि 25 January 2018.
- ↑ "Archived copy". मूल से 2007-02-13 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-12-21.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
- ↑ First CM of Punjab
- ↑ M. M. Juneja, 2004, "Hisar City: Places & Personalities", page 130, 311, 339, 77.
- ↑ Hisar Courts History
- ↑ Jugal Kishore Gupta, 1991, "History of Sirsa Town", Atlantic Publishers, New Delhi, page 261, 204.