गोविंद देवजी का मंदिर
गोविंद देव जी मंदिर जयपुर, राजस्थान में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है, जो भगवान श्रीकृष्ण (गोविंद देव जी) और राधा रानी को समर्पित है। यह मंदिर जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में जय निवास बाग के भीतर स्थित है। यह मंदिर बिना शिखर के विशेष स्थापत्य शैली के लिए भी प्रसिद्ध है।[1]
गोविंद देव जी मंदिर, जयपुर | |
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![]() मंदिर के केंद्रीय गर्भगृह में राधा गोविंद की मूर्तियाँ | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | भगवान कृष्ण (गोविंद देव जी) |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | जयपुर |
ज़िला | जयपुर |
राज्य | राजस्थान |
देश | भारत |
वास्तु विवरण | |
शैली | राजस्थानी स्थापत्य |
निर्माता | सवाई जय सिंह द्वितीय |
निर्माण पूर्ण | 18वीं शताब्दी |
वेबसाइट | |
https://mandirshrigovinddevjijaipur.org/ |
इतिहास
संपादित करेंगोविंद देव जी की मूर्ति को पहले वृंदावन में स्थापित किया गया था, जिसे सवाई जय सिंह द्वितीय ने जयपुर लाकर पुनः प्रतिष्ठित किया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने श्रीकृष्ण के स्वरूप के आधार पर तीन विग्रहों का निर्माण करवाया था:
- गोविंद देव जी – श्रीकृष्ण के मुख के समान।
- गोपीनाथ जी – वक्षस्थल के समान।
- मदन मोहन जी – चरणों के समान।
11वीं शताब्दी में हमलों के दौरान इन विग्रहों को छुपा दिया गया था, जिन्हें 16वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के अनुयायियों ने पुनः खोजा। बाद में औरंगज़ेब के आक्रमण के समय ये विग्रह जयपुर लाए गए।
स्थापत्य और कला
संपादित करेंगोविंद देव जी मंदिर राजस्थानी स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से हुआ है। मंदिर का आंतरिक भाग भव्य चित्रकारी, सुंदर झूमरों और महीन नक्काशी से अलंकृत है। मंदिर में बिना स्तंभ के चौड़ी छत का निर्माण किया गया है, जो उस समय की उत्कृष्ट वास्तुशिल्प तकनीक का उदाहरण है।
विशेष रूप से, मंदिर परिसर का सत्संग हॉल (Assembly Hall) "विश्व का सबसे चौड़ा कंक्रीट ढांचा" होने का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड भी रखता है।[2]
मंदिर का मुख द्वार पूर्वाभिमुख है, जो सूर्योदय के समय प्रवेश द्वार को प्राकृतिक प्रकाश से प्रकाशित करता है, जो शुभता का प्रतीक माना जाता है।
दर्शन एवं आरती समय
संपादित करेंमंदिर में प्रतिदिन सात झांकियाँ होती हैं, जिनमें भगवान के भिन्न-भिन्न स्वरूपों में दर्शन कराए जाते हैं। झांकी के समय के अनुसार भगवान को अलग-अलग वस्त्र और अलंकरण पहनाए जाते हैं।
झांकी | समय |
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मंगला | प्रातः 5:00 – 5:15 बजे |
धूप | प्रातः 7:45 – 9:00 बजे |
श्रृंगार | प्रातः 9:30 – 10:15 बजे |
राजभोग | प्रातः 10:45 – 11:45 बजे |
ग्वाल | संध्या 5:00 – 5:15 बजे |
संध्या | संध्या 5:45 – 6:45 बजे |
शयन | रात्रि 8:00 – 8:15 बजे |
प्रमुख त्योहार
संपादित करेंमंदिर में निम्नलिखित पर्व अत्यंत धूमधाम से मनाए जाते हैं:
- जन्माष्टमी — भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव।
- नंदोत्सव — श्रीकृष्ण जन्म के उपलक्ष्य में आयोजन।
- गोवर्धन पूजा — अन्नकूट महोत्सव।
- राधाष्टमी — राधा रानी का जन्मोत्सव।
- शरद पूर्णिमा और फाल्गुन पूर्णिमा (होली महोत्सव)।
प्रबंधन
संपादित करेंगोविंद देव जी मंदिर का प्रबंधन राजस्थान देवस्थान विभाग के अधीन है। धार्मिक गतिविधियों का संचालन मंदिर के महंत परिवार द्वारा किया जाता है।
वर्तमान में, मंदिर के प्रधान महंत पंडित अंजन कुमार गोस्वामी हैं। वे गोस्वामी परिवार के वंशज हैं, जो पीढ़ियों से गोविंद देव जी मंदिर की सेवा में संलग्न हैं। महंत अंजन कुमार गोस्वामी धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाते हैं और मंदिर के आधुनिकीकरण तथा भक्तों की सुविधाओं के विस्तार हेतु अनेक प्रयास कर रहे हैं।[3][4][5]
गोविंद देव जी का जयपुर में महत्व
संपादित करेंगोविंद देव जी को जयपुर का संरक्षक देवता (कुलदेवता) माना जाता है। जयपुर के शासक सवाई जय सिंह द्वितीय ने गोविंद देव जी को नगर के राजा के रूप में प्रतिष्ठित किया था। आज भी, जयपुर दरबार की ओर से गोविंद देव जी मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की जाती है।
मंदिर गैलरी
संपादित करें-
गोविंद देव जी मंदिर का आंतरिक दृश्य
-
मंदिर में भक्तों के द्वार सत्संग
-
सत्संग हॉल का दृश्य
-
मंदिर का एक और आंतरिक दृश्य
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गोविंद देव जी और राधा जी की मूर्तियाँ
-
मंदिर का बाहरी दृश्य
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "जयपुर के आराध्य देव हैं श्री गोविन्द देव जी". travel.Vibrant4.com. Archived from the original on 27 अगस्त 2016. Retrieved 24 अगस्त 2016.
- ↑ "Guinness record for widest concrete building". The Economic Times. 10 अक्टूबर 2009. Retrieved 27 अप्रैल 2025.
- ↑ "Anjan Kumar Goswami and services at Govind Dev Ji Temple". The Times of India. Retrieved 27 अप्रैल 2025.
- ↑ https://www.etvbharat.com/hi/state/rajasthan/the-katha-started-in-the-presence-of-jaya-kishori-at-govind-dev-ji-temple-in-jaipur-rjs24062807416
- ↑ https://zeenews.india.com/hindi/india/rajasthan/jaipur/rakhi-of-golden-artefact-tied-to-thakur-ji-in-the-adorable-govind-dev-ji-temple-in-jaipur/1299291