त्यागमूर्ति गोस्वामी गणेशदत्त (२ नवम्बर १८८९ -- १९५९)[1] महान हिन्दी-प्रेमी, शिक्षाविद एवं सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, पंजाब के संस्थापक थे। उन्होने अविभाजित भारत के पंजाब में चार सौ से अधिक शिक्षण संस्थान खोले एवं हिन्दी की निःशुल्क रात्रिकालीन कक्षाएँ चलवायीं। इन्होने इसके लिए घर-घर जाकर लोगों से धन एकत्र किया। उन्होंने छुआछूत के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया और दिल्ली के बिरला मंदिर में दलितों को मंदिर में प्रवेश कराया और पूजा का अधिकार दिलवाया। वे महामना मदनमोहन मालवीय के एकमात्र मंत्र दीक्षित शिष्य थे और वे उनके मानस पुत्र थे। सन १९४४ के हिन्दी साहित्य सम्मेलन के वे अध्यक्ष रहे।

गोस्वामी गणेशदत्त का जन्म २ नवम्बर १८८९ को अविभाजित भारत के पंजाब के झांग जिले के छिन्जोत नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम गोस्वामी मूलचन्द तथा माता का नाम निहालदेवी था।

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