अर्बेला का युद्ध
अर्बेला का संग्राम या गौगेमेला का युद्ध सिकंदर के युद्धों में से एक था। यह युद्ध यूनान के सम्राट सिकंदर व ईरान के हख़ामनी साम्राज्य के राजा दारा तृतीय (डेरियस तृतीय) के बीच 331 ई.पू. में दुहोक के समीप हुआ था। 30 सितंबर, 331 ई.पू. को हुआ था। इसमें सिकंदर की सेना ईरानी सेना से बहुत छोटी थी लेकिन अपने युद्धकौशल के कारण जीत गई।
अर्बेला का युद्ध | |||||||||
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the Wars of Alexander the Great का भाग | |||||||||
The charge of the Persian scythed chariots at the Battle of Gaugamela by Andre Castaigne (1898-1899) | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
Macedon, Greek allies |
Achaemenid Empire, Greek mercenaries | ||||||||
सेनानायक | |||||||||
Alexander the Great unlisted others |
Darius III unlisted others | ||||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||||
47,000[1][2] (See Size of Macedonian army) |
52,000 (Delbrück)[3] to 120,000 (Thomas Harbottle)[2] 94,000-104,000 (Modern consensus) (See Size of Persian army) | ||||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||||
100 infantry, 1,000 cavalry, (Arrian), 300 infantry (Quintus Curtius Rufus), 500 infantry (Diodorus Siculus), 4,000 |
40,000 (Quintus Curtius Rufus), 47,000[4], 90,000 (Diodorus Siculus), 300,000 killed, |
परिचय
संपादित करेंगौगामेला का युद्ध (या, अरबेला का युद्ध) सिकंदर और दारा के बीच पहली अक्टूबर, 331 ई. पू. का इतिहासप्रसिद्ध युद्ध, जिसके परिणामस्वरूप ईरानी साम्राज्य का पतन हो गया। गौगामेला बाबुल से बहुत दूर नहीं था, दजला के पास अरबेला से केवल 32 मील पश्चिम पड़ता था। वहाँ ग्रीक और ईरानी सेनाएँ शक्ति के अंतिम निर्णय के लिये आमने-सामने खड़ी हुई। गौगामेला का युद्ध संसार के निर्णायक युद्धों में से है।
मिस्र आदि जीतने के बाद जब सिकंदर गौगामेला के मैदान में दारा की पड़ाव डाले पड़ी सेना से लगभग तीन मील की दूरी पर पहुँचा शाम का झुटपुटा हो चुका था। पारमेनियो ने सिकंदर को सुझाया कि रात के अँधरे ही में ईरानियों पर हमला किया जाय क्योंकि दिन के उजाले में ईरानी सेना की गणनातीत संख्या देख, बहुत संभव है कि हमारी सेना सहम जाय। सिंकदर ने उत्तर में उससे कहा कि वह जीत चुराया नहीं करता, लड़कर उसे संभव करता है। संभव है, जैसा कुछ इतिहासकारों ने कहा है, रात में सिकंदर का हमला न करने का कारण वस्तुत: युद्ध की वह तकनीक थी जिसका उपयोग वह रात के अंधेरे में न कर पाता।
सिकंदर ने आस पास के इलाकों का कुछ ही घंटों में कुछ घुड़़सवारों के साथ दौरा कर अपनी सेना का व्यूह बनाया। दाहिने और बाएँ बाजू फालांक्स के घुड्सवारों के तीन डिवीजन जमा दिए गए। अपनी हरावल के पीछे उसने दो हमलावर स्तंभों के रिज़र्व खड़े किए, एक एक दोनों बाजुओं के पीछे, जिससे पीछे के बाजुओं का तोड़ने की कोशिश अगर शत्रु करे तो ये दुश्मन पर धावे बोल सकें। और यदि इसकी आवश्यकता न पड़े तो वे घूमकर प्रधान सेना की सहायता करें। दाहिने पक्ष के घुड़सवारों के सामने उसने धनुर्धरों और मल्लधारियों को ईरानी रथों के सामने खड़ा किया। ग्रीक इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर की सेना में 7 हजार घुड़सवार और 40 हजार पैदल थे, जब कि ईरानियों की सेना संख्या में इससे पांचगुनी थी।
सिकंदर ने मौका देखकर स्वयं हमला किया। वह ईरानियों के बाएँ बाजू पर इस तरह टूटा कि दारा को समतल छोड़ ऊँची नीची भूमि पर सरक जाना पड़ा। दारा ने जब देखा कि ऊँची नीची जमीन पर उसके रथ बेकार हो जाएँगे तब उसने बाएँ बाजू के घुड़सवारों को सिकंदर के दाहिने बाजू पर घूमकर हमला करने और उसे रोक देने का हुक्म दिया। दोनों ओर के घुड़सवारों में घमासान छिड़ गया। अब दारा ने रथों को बढ़ाया पर वे कभी सही उपयोग में नहीं लाए जा सके और ग्रीक पैदलों के तीरों के ईरानी रथी शिकार होने लगे। ठीक तभी सिकंदर घूमकर चार डिवीजनों के साथ ईरानी घुड़सवारों द्वारा छोड़ी जमीन से होकर ईरानियों के बाएँ बाजू पर टूटा और स्वंय दारा की ओर बढ़ा। यह हमला इतने जोर का हुआ कि दारा के पाँव उखड़ गए और वह मैदान छोड़ भागा। इसी बीच सिकंदर के दाहिने बाजू के ईरानी घुड़सवारों ने जब अपने ऊपर मकदूनियाइयों को पीछे से हमला करते देखा तब वे भी भाग निकले, यद्यपि वे शत्रु द्वारा बहुत संख्या में हताहत हुए। सिकंदर की सेना के बीच उसके हमलों से जो दरार बन गई थी, ईरानियों और भारतीयों ने उसी की राह सहसा घुसकर ग्रीकों के सामान भरे तंबुओं पर हमला किया। तभी दारा के दाहिने बाजू के घुड़सवारों ने सिकंदर के बाएँ बाजू घूमकर पारमेनियों के पार्श्व पर आक्रमण किया। पारमेनियों ने बुरी तरह घिर जाने पर सिकंदर को अपनी भयानक स्थिति की खबर दी। सिकंदर तब बाएँ बाजू टूटी ईरानी सेना का पीछा कर रहा था। वह एकाएक अपने घुड़सवारों को लिए लौटा और ईरानियों के दाहिने बाजू पर टूटा। ईरानी घुड़सवार अब भागने के लिये पीछे लौटे पर उनके पीछे की राह जब इस तरह रुक गई, तब वे सामने के शत्रु से घमासान करने लगे। न उन्होंने आप शरण माँगी न शत्रु को शरण दी। सिकंदर ने उन्हें कुचल दिया और एक एक ईरानी घुड़सवार मारा गया। अरबेला तक सिकंदर की सेना दारा का पीछा करती रही पर उसे पकड़ न पाई। दारा भाग निकला और उसने बाख्त्री में जाकर शरण ली। एरियन लिखता है कि तीन लाख ईरानी मारे गए जब कि सिकंदर के कुल एक हजार घुड़सवार मारे गए। प्रकट है कि इस आँकड़े पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
इस्सस के युद्ध के बाद यह दूसरा युद्ध था जिसमें ईरान को हारना पड़ा था और इस युद्ध के बाद ईरानी साम्राज्य टूक टूक हो गया। ईरानियों का अंतिम केंद्र फिर वंक्षुनद (आमू दरिया) की घाटी में स्थापित हुआ पर शीघ्र ही उनके उस अंतिम मोर्चे को भी सिकंदर ने तोड़ डाला जहाँ सिकंदर की मृत्यु के बाद स्वतंत्र ग्रीक राजतंत्र कायम हुआ।
सेनाओं का आकार
संपादित करेंसिकन्दर की सेना
संपादित करेंUnits | Numbers |
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Phalangists | 31,000[1] |
Peltasts | 9,000[1] |
Cavalry | 7,000 |
Total | 47,000[1] |
दारा की सेना
संपादित करेंUnits | Numbers | Numbers |
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Peltasts | 10,000[3] | 30,000[6] |
Cavalry | 12,000[3] | 40,000[4] |
Persian Immortals | 10,000[7] | 10,000 |
Greek hoplites | 8,000[3] | 10,000[5] |
Bactrian Cavalry | 1,000[5] | 2,000 |
Archers | 1,500 | 1,500 |
Scythed chariots | 200 | 200 |
War elephants | 15 | 15 |
Total | 52,930[3] | 93,930[2] |
परिणाम
संपादित करेंसिकंदर को डेरियस पर सफलता मिली। अब फारस भी सिकंदर के अधिकार में आ गया था। इसके बाद वह काबुल होता हुआ, झेलम पहुंचा, व 326ई.पू. में पोरस को पराजित किया। परन्तु इसके आगे गंगा तक जाने के अपने विचार को उसने अपने सैनिकों की थकान के कारण छोड़ दिया। फिर वह वापस हो चला, व बेबीलिन में अपनी राजधानी बनाने की सोची। व अनेक नवीन कार्य भी वहां कराये। परन्तु 13 जून,323 ई.पू. को वह तेंतीस वर्ष की आयु में ही चल बसा।
ग्रंथावली
संपादित करेंप्राचीन स्रोत
संपादित करें- The Anabasis of Alexander: The Battle of Gaugamela(Book 3, 7~16) By Arrian, Translated by E.J.Chinnock
- Alexander the Great: An annotated list of primary sources from Livius.org
- Wiki Classical Dictionary, extant sources and fragmentary and lost sources
- Plutarch, Life of Alexander (in English)
- Justin, Epitome of the Philippic History of Pompeius Trogus (in English)
- Plutarch, Of the Fortune or Virtue of Alexander the Great (in English)
- Quintus Curtius Rufus, Histories of Alexander (in Latin)
आधुनिक स्रोत
संपादित करें- Delbrück, Hans (1920). History of the Art of War. University of Nebraska Press. Reprint edition, 1990. Translated by Walter, J. Renfroe. 4 Volumes.
- Dodge, Theodore Ayrault (1890-1907). History of the Art of War: Alexander
- Engels, Donald W. (1978). Alexander the Great and the Logistics of the Macedonian Army. Berkeley/Los Angeles/London.
- Fox, Robin Lane (1973). Alexander the Great. London: Allen Lane.
- Fuller, J. F. C. A Military History of the Western World. Three Volumes. New York: Da Capo Press, Inc., 1987 and 1988.
- v. 1. From the earliest times to the Battle of Lepanto; ISBN 0-306-80304-6: pp. 87 to 114 (Alexander the Great).
- Green, Peter. Alexander of Macedon 356-323 B.C.
- Green, Peter (1990). Alexander to Actium; The Historical Evolution of the Hellenistic Age. Berkeley/Los Angeles.
- History of the Greek Nation volume Δ, Ekdotiki Athinon, Athens 1973
- Moerbeek, Martijn (1997). The battle of Gaugamela, 331 BC. Universiteit Twente.
- De Santis, Marc G. “At The Crossroads of Conquest.” Military Heritage. December 2001. Volume 3, No. 3: 46-55, 97 (Alexander the Great, his military, his strategy at the Battle of Gaugamela and his defeat of Darius making Alexander the King of Kings).
- Van der Spek, R.J. "Darius III, Alexander the Great and Babylonian Scholarship." in: W. Henkelman, A. Kuhrt eds., A Persian Perspective. Essays in Memory of Heleen Sancisi-Weerdenburg. Achaemenid History XIII (Leiden: Nederlands Instituut voor het Nabije Oosten, 2003) 289-342.
- Warry, J. (1998). Warfare in the Classical World. ISBN 1-84065-004-4.
- Welman, Nick. Battles (Major) and Army. Fontys University.
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ ई Moerbeek (1997) estimates 31,000 phalangites and 9,000 light infantry.
- ↑ अ आ इ Warry (1998) estimates a total size of 91,000, Welman 90,000, Thomas Harbottle 120,000, Engels (1920) and Green (1990) no larger than 100,000.
- ↑ अ आ इ ई उ History of the Art of War by Hans Delbrück (1990)
- ↑ अ आ Welman
- ↑ अ आ इ [1]
- ↑ Moerbeek (1997).
- ↑ Quintus Curtius Rufus, Histories of Alexander
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंविकिमीडिया कॉमन्स पर अर्बेला का युद्ध से सम्बन्धित मीडिया है। |
- Livius.org tells the story of Alexander and quotes original sources. Favors a reconstruction of the battle which heavily privileges the Babylonian astronomical diaries.
- Livius.org provides a new scholarly edition of the Babylonian Astronomical Diary concerning the battle of Gaugamela and Alexander's entry into Babylon by R.J. van der Spek.