गौतम सिंघानिया (जन्म ९ सितम्बर १९६५) एक भारतीय उद्योगपति हैं। वो रेमंड समूह के प्रबन्ध निर्देशक एवं अध्यक्ष हैं।[1]उन्हें पेरिस में आयोजित एफआईए एनुअल जनरल असेंबली की बैठक के दौरान वर्ल्ड मोटर स्पोर्ट्स काउंसिल का सदस्य चुना गया। इस बैठक में 22 नामांकित सदस्यों में से कुल 14 सदस्यों को चयनित किया गया जिसमें वे भी शामिल हैं। इस पद पर उन्होंने सहारा फोर्स इंडिया के बॉस विजय माल्या का स्थान ग्रहण किया है।[2]

गौतम हरि सिंघानिया

गौतम सिंघानिया
जन्म गौतम हरि सिंघानिया
9 सितम्बर 1965 (1965-09-09) (आयु 59)
आवास मुम्बई
राष्ट्रीयता भारतीय
जाति भारतीय
नागरिकता G
शिक्षा की जगह कैथेड्रल स्कूल, मुम्बई
पेशा व्यापारी
कुल दौलत $1.4 अरब
ऊंचाई 5'3"
प्रसिद्धि का कारण रेमंड समूह के प्रबन्ध निर्देशक एवं अध्यक्ष
जीवनसाथी नवाज़ मोदी सिंघानिया
बच्चे निहारिका सिंघानिया
माता-पिता विजयपत सिंघानिया और आशाबाई सिंघानिया

जनवरी 2019 में गौतम सिंघानिया ने कंपनी में सारे पदों से इस्तीफा दे दिया था, ऐसा करने का बड़ा कारन पिता से चल रहा विवाद था [3]|

2021 में मौजूदा सदस्यों के लिए आरक्षित  (WMSC) डब्ल्यूएमएससी की 14 सीटों के लिए हुए चुनावों में गौतम सिंघानिया हार गए थे | यह ऐसा पहली बार था जब भारत ने तीन दशकों से अधिक समय में पहली बार एफआईए (FIA) की शक्तिशाली विश्व मोटर स्पोर्ट काउंसिल (WMSC) में अपनी सीट खो दी है [4]|

उनका जन्म एक उद्यौगपति घराने में हुआ। उनके पिता का नाम विजयपत सिंघानिया और माँ का नाम आशाबाई सिंघानिया है।[5]

  1. "37 मंजिला घर बनवा रहे हैं 3 खरब रुपए की दौलत के मालिक गौतम, बीएमसी डाल रहा अड़ंगा". दैनिक भास्कर. 8 अक्टूबर 2013. मूल से 14 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 नवम्बर 2013.
  2. www.team-bhp.com/news/gautam-singhania-elected-fia-world-motor-sports-council
  3. "गौतम सिंघानिया ने कंपनी में सारे पद छोड़े, पिता से चल रहा विवाद". आज तक (hindi में). अभिगमन तिथि 2022-06-02.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  4. "World Motor Sport Council: मोटर स्पोर्ट काउंसिल में भारत ने गंवाई अपनी सीट, 3 दशक में पहली बार हुआ ऐसा". आज तक (hindi में). अभिगमन तिथि 2022-06-02.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  5. Geoff Hiscock (2007). India's Global Wealth Club: The Stunning Rise of Its Billionaires and Their Secrets of Success. John Wiley and Sons. पपृ॰ 277–278. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-470-82238-8.