ग्रेच्युटी अधिनियम, १९७२
अगर कोई भी कर्मचारी 10 उससे से अधिक कर्मचारी वाले वाले स्थान पर काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी अधिनियम, १९७२ के तहत कवर किया जाएगा। ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा होता है, जो कर्मचारियों की सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है। आय कर अधिनियम की धारा 10 (10) के मुताबिक, किसी भी निगम या कंपनी में कम से कम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होता है।
ग्रेच्युटी अधिनियम संशोधन 2019
ग्रेच्युटी सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी को मिलती है। अभी हाल में ही श्रम मंत्रालय ने कर मुक्त ग्रेच्युटी की राशि को 10 लाख से बढाकर 20 लाख कर दिया है और इसे 1 जनवरी 2016 से सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए लागू भी कर दिया गया है।
ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 Archived 2016-01-14 at the वेबैक मशीन के अनुसार, कर्मचारी को उसकी सेवा के प्रत्येक वर्ष में 15 दिनों का वेतन ग्रेच्युटी के तौर पर दिया जाता है। इस अधिनियम में कर्मचारी वह हैं जिन्हें कंपनी पे रोल पर रखती है, प्रशिक्षुओं को ग्रेच्युटी नहीं मिलती है. ग्रेच्युटी के तहत मिली 20 लाख तक की राशि पर टेक्स नही देना पड़ता है, साथ ही यह कानून ऐसे प्रतिष्ठानों में लागू होता है, जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 हो।
ग्रेच्युटी की गणना कैसे करें
ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत कवर किए गए लोगों के लिए ग्रेच्युटी अधिनियम की गणना के लिए नीचे दिया गया फार्मूला है। ग्रेच्युटी की गणना में मूल वेतन और महंगाई भत्ता का योग शामिल होता है। मान की लीजिये की सुरेश किसी कंपनी में काम करता था. यदि सुरेश ने 10 वर्ष काम करने के बाद छोड़ दिया। अब उसको ग्रेच्युटी क्लेम करना है तो इसके लिए उनको यदि उसके अंतिम सैलरी स्लिप पर पर मूल वेतन 20,000 रु. है, डीए=5000 रु. तो उसकी ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन कुछ इस प्रकार से करेंगे-
फार्मूला – (मूल वेतन + डीए) x 15 दिन x 10 साल /26 (यहाँ पर 1 महीने में 26 दिन माने गए हैं)
ग्रेच्युटी = (20000 + 5000) x 15 x 10 /26
तो सुरेश का Gratuity =1,44,230.76 रु. होगा.