ग्रेट बैरियर रीफ, क्वींसलैंड (आस्ट्रेलिया) के उत्तरी-पूर्वी तट के समांतर बनी हुई, विश्व की यह सबसे बड़ी मूँगे की दीवार है। इसे पानी का बगीचा भी कहते हैं ।इस दीवार की लंबाई लगभग १,२०० मील तथा चौड़ाई १० मील से ९० मील तक है। यह कई स्थानों पर खंडित है एवं इसका अधिकांश भाग जलमग्न है, परंतु कहीं-कहीं जल के बाहर भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। महाद्वीपीय तट से इसकी दूरी १० से १५० मील तक है। समुद्री तूफान के समय अनेक पोत इससे टक्कर खाकर ध्वस्त हो जाते हैं। फिर भी, यह पोतचालकों के लिये विशेष सहायक है, क्योंकि दीवार के भीतर की जलधारा इस बृहत शैलभित्ति (reef) द्वारा सुरक्षित रहकर तटगामी पोतों के लिये अति मूल्यवान् परिवहन मार्ग बनाती है तथा पोत इसमें से गुजरने पर खुले समुद्री तूफानों से बचे रहते हैं। महाद्वीपीय तट तथा अवशेषी शैल भित्ति (barrier reef) के बीच का क्षेत्र (८०,००० वर्ग मील) पर्यटकों के लिये अत्यंत आकर्षक स्थल है। जलवायु परिवर्तन के बुरे असर से ग्रेट बैरियर रीफ के बचने की संभावना बहुत कम है और ऐसी आशंका है कि २०५० तक रीफ पूरी तरह नष्ट हो जएगी।[1]

ग्रेट बैरियर रीफ के एक भाग का उपग्रह से लिया गया चित्र

पारिस्थितिकी

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ग्रेट बैरियर रीफ जीवन की एक असाधारण विविधता का परिवाहक है, जिसमें कई असुरक्षित या विलुप्तप्राय प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें से कुछ रीफ प्रणाली के लिए स्थानिक हो सकती हैं।

पर्यावरणीय खतरे

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जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, क्राउन-ऑफ-थॉर्नस तारामछली और मछली पकड़ना इस चट्टान प्रणाली के स्वास्थ्य के लिए प्राथमिक खतरे हैं। अन्य खतरों में शिपिंग दुर्घटनाएं, तेल रिसाव और उष्णकटिबंधीय चक्रवात शामिल हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. "2050 तक नहीं बचेगी ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ". हिन्दुस्तान डाट कम. मूल से 6 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ अक्तूबर २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)

बाहरी कड़ियाँ

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