चांगथंग

पश्चिमी और उत्तरी तिब्बत में स्थित एक ऊँचा पठार
(चंगथंग पठार से अनुप्रेषित)

चांगथंग (तिब्बती: བྱང་ཐང་།, चीनी: 羌塘, अंग्रेज़ी: Changtang या Changthang) पश्चिमी और उत्तरी तिब्बत में स्थित एक ऊँचा पठार है जो कुछ हद तक भारत के लद्दाख़ क्षेत्र के दक्षिणपूर्वी हिस्से में भी विस्तृत है।[1] लद्दाख़ से शुरु होकर यह पूर्व में १,६०० कि॰मी॰ दूर चिंगहई प्रान्त तक फैला हुआ है। यह इलाक़ा तिब्बती मूल के चांगपा कहलाने वाले ख़ानाबदोशों की मातृभूमि है और भौगोलिक नज़रिए से तिब्बत के पठार का भाग है।[2] चांगथंग क्षेत्र में दूर-दूर तक खुले, शुष्क और ऊँचा मैदानी पठार और विशाल झीलें फैली हुई हैं। इसकी औसत ऊँचाई ४,५०० मीटर और ४,९०० मीटर के बीच है।[3][4]

लद्दाख़ में चांगथंग का दृश्य
चांगथंग प्राकृतिक आरक्षित क्षेत्र (लाल रंग में)
चांगथंग में मिलने वाला 'किआंग' नामक जंगली तिब्बती गधा

पश्मीना बकरी अल्ट्रा फाइन कश्मीरी ऊन के लिए प्रसिद्ध है। [९] फारसी में पश्मीना का अर्थ 'ऊन से बना' होता है और कश्मीरी में इसका अनुवाद 'नरम सोने' में होता है।[5] बकरी की यह नस्ल चांगथांग पठार में रहती है और वहां से इसका नाम मिलता है। पश्मीना शॉल कश्मीर और नेपाल में हाथ से बने होते हैं।

नामोत्पत्ति संपादित करें

तिब्बती भाषा में 'चांग' (བྱང་) का अर्थ 'उत्तरी' और 'थंग' (ཐང་) का अर्थ 'पठार' होता है, यानि इस क्षेत्र के नाम का मतलब 'उत्तरी पठार' है।

मौसम संपादित करें

अपनी अत्याधिक ऊँचाई के कारण चांगथंग पठार पर बहुत सर्दी रहती है। बहुत ही कम दिन होते हैं जब तापमान १०° सेंटीग्रेड से ज़्यादा होता है और -२५° सेंटीग्रेड के तापमान यहाँ अक्सर देखे जाते हैं।[4]

आरक्षित क्षेत्र संपादित करें

अपनी विचित्र भूमि और वातावरण के कारण भारत सरकार और तिब्बत पर नियंत्रण रखने वाली चीनी सरकार दोनों ने अपने क्षेत्रों में चांगथंग पठार के बड़े भागों को आरक्षित घोषित किया है।

लद्दाख़ में चांगथंग शीत मरुभूमि आरक्षित क्षेत्र संपादित करें

भारत सरकार ने लद्दाख़ में चांगथंग शीत मरुभूमि वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र (Changtang Cold Desert Wildlife Sanctuary) स्थापित किया है। इससे यहाँ 'किआंग' नामक मिलने वाले जंगली तिब्बती गधे को सुरक्षा दी जा रही है।

तिब्बत में चांगथंग प्राकृतिक आरक्षित क्षेत्र संपादित करें

तिब्बत में चांगथंग का अधिकतर भाग ४,९६,००० वर्ग कि॰मी॰ बड़े 'चांगथंग प्राकृतिक आरक्षित क्षेत्र' के अन्तर्गत आरक्षित है। तुलना के लिये इस प्राकृतिक उद्यान का क्षेत्रफल भारत के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड राज्यों को मिलाकर बनने वाले भूक्षेत्र से भी बड़ा है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Trans-himalayan Caravans: Merchant Princes And Peasant Traders In Ladakh, Janet Rizvi, Oxford University Press, 2001, ISBN 9780195658170, ... ...
  2. Namgail, T., Bhatnagar, Y.V., Mishra, C. & Bagchi, S. (2007) Pastoral nomads of the Indian Changthang: production system, land use and socioeconomic changes. Human Ecology 35, 497–504.
  3. Shamanic Trance and Amnesia: With the Shamans of the Changpa Nomads in Ladakhi Changthang, Ina Rösing, Sonam Norboo Spurkhapa, pp. 52, Concept Publishing Company, 2006, ISBN 9788180692475, ... Ladakhi Changthang - an area of approximately 21,000 km2 ... is situated at an average height of 4,500 metres above the sea level. It is inhabited by nomads and semi-nomads ...
  4. High Altitude Medicine and Physiology, John Burnard West, Robert B. Schoene, James S. Milledge, pp. 33, CRC Press, 2007, ISBN 9780340913444, ... On the Changthang (the northern part of the Tibetan plateau), which has an average height of 4900 m, there are few days when the temperature reaches as high as 10°C, and -25°C has been recorded ...
  5. "पश्मीना की नई पहचान".