चंद्रिका देवी मंदिर, लखनऊ
चंद्रिका देवी मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में हिंदू माँ देवी दुर्गा के कई रूपों में से एक को समर्पित एक पवित्र मंदिर हैं। यह स्थानीय लोगों और अंतरराज्यीय लोगों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल हैं। यह आसपास के शहरों और ग्रामीण लोगों के लिए भी एक पर्यटन स्थल हैं।[1]
मां चंद्रिका देवी मंदिर | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | दुर्गा |
त्यौहार | अमावस्या, नवरात्रि |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | कठवारा, बख्शी का तालाब |
ज़िला | लखनऊ |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | हिंदू वास्तुकला |
निर्माता | नारद मुनि |
स्थापित | प्राचीन |
आयाम विवरण | |
स्मारक संख्या | 9 दुर्गा |
अवस्थिति ऊँचाई | 123 मी॰ (404 फीट) |
मंदिर का परिचय
संपादित करेंलखनऊ शहर के बख्शी का तालाब के पास कठवारा गाँव में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 24 (लखनऊ-सीतापुर रोड) के उत्तर-पश्चिम में गोमती नदी के तट पर स्थित हैं। यह मंदिर 300 साल पुराना हैं और देवी दुर्गा का एक रूप चंद्रिका देवी के नाम से प्रसिद्ध हैं। उत्तर, पश्चिम और दक्षिण दिशा में गोमती नदी से घिरे प्राकृतिक वातावरण में स्थित, यह लखनऊ के मुख्य शहर से लगभग 28 किलोमीटर दूर हैं और लखनऊ हवाई अड्डे से लगभग 45 किलोमीटर दूर हैं। इस स्थान और आस-पास के क्षेत्रों की रामायण काल से ही प्रासंगिकता और धार्मिक महत्व हैं। इसे माही सागर तीर्थ भी कहा जाता हैं। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता हैं।[2]
इतिहास
संपादित करेंऐसा कहा जाता हैं कि लखनऊ के संस्थापक लक्ष्मण के बड़े पुत्र राजकुमार चंद्रकेतु एक बार अश्वमेघ घोड़े के साथ गोमती के किनारे से गुजर रहे थे। तब रास्ते में अंधेरा हो गया और उन्हें तत्कालीन घने जंगल में आराम करना पड़ा। उन्होंने देवी से सुरक्षा की प्रार्थना की।[3]इस मदिंर के बारे में कहा जाता हैं कि उस काल में यहां स्थापित एक भव्य मंदिर को 12वीं शताब्दी में विदेशी आक्रमणकारियों ने नष्ट कर दिया था। लगभग 250 साल पहले आसपास के कुछ ग्रामीणों ने जंगलों में घूमते समय इस खूबसूरत जगह को खोजा था जो घने जंगलों से छिपा हुआ था। इस स्थान को माही सागर तीर्थ के नाम से भी जाना जाता हैं।[4]
यह भी कहा जाता हैं कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने शक्ति प्राप्त करने के लिए घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को इस तीर्थ के बारे में बताया था। बर्बरीक ने इस स्थान पर लगातार 3 वर्षों तक माँ चंद्रिका देवी की पूजा की थी। अमावस्या और नवरात्र की पूर्व संध्या पर मंदिर में और मंदिर परिसर के आसपास बहुत सारी धार्मिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सो से लोग यहाँ हवन (यज्ञ), मुंडन के लिए आते हैं। इसके अलावा इन दिनों कीर्तन, सत्संग (धार्मिक सभाएं) भी आयोजित की जाती हैं।[5]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेतु से जुड़ा हैं मां चंद्रिका देवी का कथानक". अभिगमन तिथि 2012-10-03.
- ↑ "Chandrika Devi Temple in Lucknow". chandrika-devi-temple-lucknow.blogspot.in. अभिगमन तिथि 2015-12-27.
- ↑ "मां चंद्रिका देवी धाम का स्कंद पुराण में उल्लेख". अभिगमन तिथि 2013-03-21.
- ↑ "Temples in Lucknow, Mandir in Lucknow, List of Temples in Lucknow". www.lucknowonline.in. अभिगमन तिथि 2015-12-27.
- ↑ "लखनऊ में मौजूद हैं ढाई सौ साल पुराना चमत्कारी वट वृक्ष". अभिगमन तिथि 2022-07-26.