चक्रसंवर तन्त्र
वाजरायण बौध्द धर्म में अन्ततारोधन तंत्र की मां वर्ग
बज्रयान बौद्ध धर्म में चक्रसंवर तन्त्र (तिब्बती: འཁོར་ལོ་བདེ་མཆོག; वायली: 'khor lo bde mchog) को अनुत्तरयोग तन्त्र की जननी माना जाता है। इसे 'श्रीहेरुकाभिधान' या 'लघुसंवर' भी कहते हैं> डेविड बी ग्रे ( David B. Gray) का मत है कि चक्रसंवर तन्त्र का जन्म ८वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में या ९वीं शताब्दी के आरम्भिक चरण में हुआ। [1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Gray, David B. The Cakrasamvara Tantra: Its History, Interpretation, and Practice in India and Tibet, Santa Clara University, Religion Compass 1/6 (2007): 695–710, http://vajrayana.faithweb.com/chakrasamvara-tantra%20its%20history.pdf Archived 2017-05-17 at the वेबैक मशीन