चनहुदड़ो
सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख नगर
चन्हुदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता के नगरीय झुकर चरण से सम्बंधित एक पुरातत्व स्थल है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के मोहेंजोदड़ो से 130 किलोमीटर (81 मील) दक्षिण में स्थित है। यहाँ पर 4000 से 1700 से ईशा पूर्व में बसा हुआ माना जाता है और इस स्थान को इंद्रगोप मनकों के निर्माण स्थल के रूप में जाना जाता है। एन जी मजूमदार के प्रयास से 1934 में इसकी खोज हुई ||
चन्हुदड़ो | |
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वैकल्पिक नाम | चन्हु दाड़ो |
स्थान | मुल्लन संध, सिंध, पाकिस्तान |
निर्देशांक | 26°10′25″N 68°19′23″E / 26.17361°N 68.32306°Eनिर्देशांक: 26°10′25″N 68°19′23″E / 26.17361°N 68.32306°E |
प्रकार | Settlement |
क्षेत्रफल | 5 हे॰ (12 एकड़) |
इतिहास | |
स्थापित | ४०वीं ई॰पू॰ |
परित्यक्त | १७वीं ई॰पू॰ |
काल | हड़प्पा 4 से सिंधु घाटी सभ्यता के विकास युग में |
संस्कृति | सिंधु घाटी सभ्यता |
स्थल टिप्पणियां | |
उत्खनन दिनांक | 1931, 1935–1936 |
पुरातत्ववेत्ता | नानी गोपाल मजुमदार, अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके |
चन्हुदड़ो की पहली बार खुदाई मार्च 1934 में एन॰ गोपाल मजुमदार ने करवाई और उसके बाद 1935-36 में अमेरीकी स्कूल ऑफ़ इंडिक एंड इरानियन तथा म्यूज़ियम ऑफ़ फाइन आर्ट्स, बोस्टन के दल ने अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके के नेतृत्व में करवाई।[1]
यहां से एक ईट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे के निशान भी मिले हैं ।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Possehl, Gregory L. (2004). The Indus Civilization: A contemporary perspective, New Delhi: Vistaar Publications, ISBN 81-7829-291-2, p.74.