चाइल्ड का युद्ध
चाइल्ड का युद्ध प्रथम आंग्ल-भारतीय युद्ध (हिन्दुस्तानियों और अंग्रेज़ों के बीच होने वाले संघर्ष) था। यह 1686 से 1690 तक युद्ध चला और सम्राट औरंगजेब द्वारा शासित मुगल साम्राज्य के हाथों ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को बड़े पैमाने पर हार झेलनी पड़ी।
Child's War | |||||||
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Anglo-Indian Wars का भाग | |||||||
The English ask pardon of Aurangzeb.jpg French illustration of an Englishman requesting pardon from the Islamic Mughal Emperor Aurangzeb. | |||||||
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योद्धा | |||||||
British Empire | Mughal Empire | ||||||
सेनानायक | |||||||
Sir Josiah Child, Bt | Aurangzeb Shaista Khan | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
308 at Kolkata
unknown at Mumbai and Carnatic |
unknown but much larger than England | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
Heavy at Mumbai and Kolkata | Minimal[उद्धरण चाहिए] |
यह संघर्ष अपना नाम सर जोज़ाया चाइल्ड (Sir Josiah Child) से लेता है, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशकों में से एक था। चाइल्ड ने मुग़लों के प्रति आक्रामक नीति अपनाई थी। अंग्रेज़ भारत और यूरोप के बीच व्यापार के लिए विशेष अधिकार चाहते थे। जब मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने यह अधिकार देने से इनकार कर दिया, तो अंग्रेज़ों ने भारतीय समुद्री व्यापारियों को अवरुद्ध करने के लिए ब्रिटिश युद्धपोत तैनात कर दिए। जब मुग़लों ने भारतीय तट के साथ ब्रिटिश व्यापारिक पदों और कारखानों पर वापस क़ब्ज़ा ज़माने के लिए ज़ोरदार प्रहार किया, तो अंग्रेजों को मजबूर होकर बातचीत करनी पड़ी। औरंगजेब ने उल्लेखनीय तौर पर उन्हें क्षमा करके शांति पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद अंग्रेजों को अपनी संपत्ति वापस मिल गई।
यह संघर्ष ईस्ट इंडिया कंपनी की बढ़ती शक्ति को दिखाता है। लेकिन 17 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में यूरोपीय लोग अभी तक मुग़लों का सैन्य रूप से सामना करने में सक्षम नहीं थे। इसके 18 वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य के पतन के बाद भारत के ब्रिटिश उपनिवेश को आने में लगभग एक सदी लग गई।
यह सभी देखें
संपादित करें- हेनरी हर
- थॉमस टिव
- हज
संदर्भ
संपादित करें- ↑ Blackburn, T.R. (2007). A Miscellany of Mutinies and Massacres in India. APH Publishing Corporation. पृ॰ 11. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788131301692. अभिगमन तिथि 2015-02-23.