चिकित्सा-विधिक शरीर पर लगे चोट की, किसी कानूनी मामले में, चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा परीक्षण किए जाने की स्थिति है। जब किसी चोट या बीमारी का कारण कानूनी तौर पर पता लगाना जरूरी होता है, तो उस बीमारी या चोट के मामले को चिकित्सा-विधिक समझा जाता है। यह पूरी तरह से चिकित्सक कि जिम्मेदारी होती है कि सबसे पहले वह मामला दर्ज़ करे। चिकित्सा अधिकारी कों अपने खुद के निर्णय बनाने होते हैं।

चिकित्सा-विधिक मामलों का क्षेत्र दुर्घटना से लेकर अपराध तक विस्तृत है। निम्नलिखित मामले चिकित्सा विधिक हो सकते हैं-

  • सड़क दुर्घटना, किसी कारखाने कि दुर्घटना, या अन्य कोई भी अप्राकृतिक दुर्घटना।
  • संदिग्ध या स्पष्ट हत्या या आत्महत्या का प्रयास।
  • संदिग्ध या स्पष्ट विषाक्तता।
  • जलने के कारण लगी चोट।
  • चोट का मामला जहां बेईमानी का संदेह है, अगर चिकित्सित कों लगता है कि मरीज़ आपराधिक या विपत्ति ग्रस्त के रूप में किसी मामले से सम्बन्धित है।
  • ऐसी चोट का मामला जहाँ पर व्यक्ति के मरने कि आशंका जताई जा रही है।
  • संदिग्ध या स्पष्ट यौन अपराध।
  • संदिग्ध या स्पष्ट आपराधिक गर्भपात।
  • बेहोशी, ऐसे मामलों में जहां कारण स्पष्ट नहीं है।
  • मृत्यु का ऐसा मामला जिसमे मामले का कोई उचित इतिहास नहीं दर्शाया गया हो।
  • अदालत द्वारा निर्दिष्ट मामले।

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