निर्देशांक: 25°23′N 59°57′E / 25.39°N 59.95°E / 25.39; 59.95 चिचड़ली<ref>[https://web.archive.org/web/20170827213703/http://www.census2011.co.in/data/village/85582-chicharli-rajasthan.html स्थापना- इस गांव की स्थापना सन् 1583 ई. मे रूपाराम जी गोदारा द्वारा की गई। रूपाराम जी गोदारा मूलतः बीकानेर के रूणीयां गांव से आयें थे। उनके साथ वहाँ से सोनगरा महाजन,विरठ मेघवाल एवं माळिया मिरासी भी आये थे। कालांतर में इनके वंशजो ने पुरखावास ,गोदावास,बाकियावास,उतेसर,जिजनियाला,पाटियाल,सणपा,म.प्र. मे जावरा आदि अनेक गांव बचाये। इनके एक पुत्र बागाराम का परिवार चिचङली मे ही निवास करता है। गांव के उत्तर में इनके वंशज बुधाराम जी गोदारा की ढाणी स्थित है। बाद में कई जातियां यहाँ आकर निवास करने लगी। चिचङली गांव जाट बाहुल्य ग्राम है। यहां पर मुख्य रूप से गोदारा,बेनिवाल,मुण्डण,सारण जाति के जाट निवास करते हैं। जाटों के अलावा ब्राह्मण,राजपूत,विश्नोई, महाजन,सुथार, संत,प्रजापत, देवासी,दमामी,मेघवाल,लोहार,मुसलमान,भील,जोगी,बंजारा,हरिजन, मिरासी आदि जातियां निवास करती है। यहा विश्नोई समाज के लोग भी रहते है / जो विशनीयाधोरा नामक स्थान पर रहते है/ इस स्थान को विशनियाधोरा नाम कि उपाधि चोखाराम जी विशनोई के लिए दि गई जो जोलियाली से यहा आकर रहने लगे /इनके वँशज आज भी यहा निवास करते है/ ये धोरा गाव से पूर्व द. दिशा मे परिहारो कि ढाणी रोङ पर स्थीत है/ विशिष्ट व्यक्तित्व –

चिचड़ली
—  गाँव  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य राजस्थान
तहसील लूणी
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी इस गांव के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी श्री पुरखाराम जी गोदारा ने भारत की स्वतंत्रता के लिए हुए आन्दोलनो का नेतृत्व किया एवं किसान केसरी बलदेव राम मिर्धा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सामन्तवाद का डटकर मुकाबला किया।

स्वतंत्रता के पश्चात उनके पुत्र श्री देवाराम जी निरन्तर 15 वर्षों तक सरपंच रहे। पुरखाराम जी के पुत्र खरताराम जी इनके पदचिह्नों पर चलते हुए समाज एवं ग्राम हित में अपना योगदान दे रहे हैं। खरताराम जी की पुत्रवधू श्रीमती शोभा चौधरी भी सरपंच रह चुकी है। पुरखाराम जी के नाम पर ही पुरखावास गांव की स्थापना हुई जो चिचङली के द.-प. मे स्थित है। यहा के आशोक बेनिवाल (विश्नोई ) गौ रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते है/ ये जोलियाली गाव से आए हुए चौखाराम जी विश्नोई के वंशज है/ भौगोलिक स्थिति –

यह गांव जोधपुर जिले के पश्चिम में 43 किमी. की दूरी पर जोधपुर बालोतरा रोड पर स्थित है।  जानादेसर, हिंगोला, सुराणी, परिहारो की ढाणी, भाटेलाई,  जोलियाली

गोदावास, शिवनगरी ये इसके सीमावर्ती गांव है। चिचङली ग्राम पंचायत राबङिया, पुरखावास एवं चिचङली से मिलकर बनी है। चिचङली ग्राम पंचायत की जनसंख्या लगभग 9773 हैं जिनमें से 3453 मतदाता है। यहां की भूमि मुख्य रूप से टिबेनुमा एवं समतल दोनों प्रकार की है। यहां की जलवायु मुख्यत: शुष्क है। गर्मीयो में बहुत ज्यादा गर्मी पङती है एवं धुलभरी आंधियाँ व लू चलती है। इसके कारण पारा 45 °C से उपर चला जाता है। इस गांव में वर्षा की मात्रा औसत ही रहती है। सर्दियों में साधारण सर्दी पङती है। वनस्पति एवं वन्यजीव – यहां पर मुख्य रूप से खेजङी,रोहिङा,बबूल,केर,नीम,आक,बेर,कंकेङी,फोग आदि वनस्पति पायी जाती है। वन्य जीवों में हिरण, नीलगाय, खरगोश, लोमड़ी,सियार,नेवला,सर्प,सुअर,सांडा,पाटागोह,कछुआ,आदि जानवर तथा मोर, कबूतर, तोता, बुलबुल, गौरैया,बतख,कौआ, आदि पक्षी प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।

दर्शनीय स्थल –

दर्शनीय स्थलों में प्रमुख रूप से गांव के मध्य बना भगवान शिव का भव्य मंदिर तथा रामदेव मंदिर, पाबुजी का मंदिर,किशनगढ बालाजी का मंदिर लक्ष्मण जी प्याऊ ,विश्नीया धोरा एवं पुरखाराम जी गोदारा का स्मारक प्रसिद्ध स्थल है। गांव के पास बना विशाल तालाब भी देखने योग्य है।

शिक्षा- इस गांव की शैक्षिक स्थिति बहुत अच्छी है। ग्राम पंचायत में कुल 11 विद्यालय है उनमें से एक माध्यमिक तथा एक उच्च माध्यमिक स्तर का है उच्च माध्यमिक विद्यालय का परिणाम हमेशा आसपास के गांवो से श्रेष्ठ रहता है। गांव के लोग शिक्षा के प्रति जागरूक है तथा वे अपने लङके-लङकियो को समान रूप से शिक्षा प्रदान करवाते हैं विगत वर्षों में बोर्ड परीक्षा का परिणाम शत प्रतिशत रहा है। विद्यालय विकास में गोदारा परिवार का विशेष योगदान रहा है।

अर्थव्यवस्था- इस गांव के युवा कई उद्योगों में संलग्न है। यहां के लोगों का कारोबार गुजरात, मध्यप्रदेश, मद्रास, पंजाब आदि क्षेत्रों में फैला हुआ है। ग्रामीण जन पशुपालन एवं कृषि कार्य भी करते है। पशुओं में मुख्यतः गाय, भैंस, ऊंट, भेङ तथा बकरियों को पाला जाता है। फसलों के अन्तर्गत मुख्यत: खरीफ की फसल बोई जाती है जिनमें बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार, ज्वार, तिल आदि प्रमुख हैं।

जल संसाधन-

पीने के पानी के लिए चिचङली गांव के साथ-साथ आसपास के सभी गांव भी चिचङली गांव के तालाब पर निर्भर है। इस तालाब का निर्माण श्री रूपाराम जी गोदारा द्वारा करवाया गया था। इसी तालाब की पाळ पर सती माता का स्थान है जो सुजाराम बेनिवाल की धर्मपत्नी थीं। तालाब के अतिरिक्त नल का पानी भी इस गांव को उपलब्ध करवाया जाता है जो जोधपुर की प्रसिद्ध झील कायलाना से आता है।

इन्हें भी देखें

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