चित्तू पांडेय (1865-1946) को प्यार से शेर-ए-बलिया यानि बलिया का शेर कहते हैं। बलिया के रट्टूचक गांव में 10 मई 1865 को जन्मे चित्तू पांडेय ने 1942 के ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में स्थानीय लोगों की फौज बना कर अंग्रेजों को खदेड दिया था। 19 अगस्त,1942 को वहां स्थानीय सरकार बनी तब कुछ दिनों तक बलिया में चित्तू पांडेय का शासन भी चला, लेकिन बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने गदर को दबाने के क्रम में आंदोलनकारियों को उखाड फेंका। चित्तू पांडेय की मृत्यु को 1946 में हुई थी।

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