‘थर्मोपल्ली ऑफ़ मेवाड़’ के नाम से विश्व विख्यात हल्दीघाटी का नाम सुनते ही महाराणा प्रताप द्वारा मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षार्थ लड़े गये ऐतिहासिक जनयुद्ध का स्मरण आ जाता है। हल्दीघाटी का युद्ध तंग पहाड़ी दर्रे से खमनोर के मैदान में बनास नदी तक लड़ा गया था। आज उसका कुछ स्वरुप ही संरक्षित रह पाया है । खमनोर से बलीचा गांव तक छः किलोमीटर में फैला रणक्षेत्र हल्दीघाटी के नाम से जाना पहचाना जाता है। यहाँ सरकारी स्तर पर बनने वाला संग्रहालय भ्रष्टाचार के चलते आज तक बन नहीं सका। महाराणा प्रताप एवं चेतक से जुडी शस्त्र सामग्री उदयपुर सिटी पैलेस संग्रहालय में सुरक्षित है।
हल्दीघाटी में संग्रहालय के नाम से निजी दुकानदारी को बढ़ावा दिया गया है । पर्यटक मूल स्थलों को देखने से वंचित रहते है जो कि पूर्णतः निःशुल्क है।
हमारा प्रयास है कि इतिहास प्रेमी मूल स्थलों को देख शहीदों को नमन कर सके।
हल्दीघाटी के मुख्य दर्शनीय स्थल –
युद्धभूमि रक्त तलाई, खमनोर – हल्दीघाटी का मूल रणक्षेत्र है जहाँ आज भी शहीदों की स्मृति में छतरियां एवं स्मारक मौजूद है।
बाँट सकते हैं – रचना की प्रतिलिपि बना सकते हैं, बाँँट सकते हैं और संचारित कर सकते हैं
रीमिक्स कर सकते हैं – कार्य को अनुकूलित कर सकते हैं
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