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Freedom fighter vaid kishan lal

सारांश

विवरण
English: Vaid Kishan Lal , Freedom Fighter" . He is a famous freedom fighter of Delhi. His name is written by the MCD on the Delhi Gate of Najafgarh" It is a Historial Gate in Najafgarh currently marks the Entry point of the Najafgarh Market.
हिन्दी: वैद किशन लाल, एक महान स्वतंत्रता सेनानी"।

वह दिल्ली के एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। दिल्ली में आजादी की लड़ाई में मुख्य भागीदारी निभाने के कारण वैद्य किशनलाल जी को सम्मान देने के लिए दिल्ली सरकार तथा एमसीडी ने नजफगढ़ स्थित दिल्ली गेट का नामकरण वैद्य किशनलाल जी के नाम कर रखा है। इसी तरह नजफगढ़ से कापसहेड़ा तक मुख्य मार्ग का नामकरण भी उनके नाम से किया गया है।

संक्षिप्त परिचय :

वैद्य किशनलाल दिल्ली क्षेत्र के जाने माने व्यक्तियों में से एक थे। देश की आजादी में उनका विशेष योगदान रहा। स्वतंत्रता के पश्चात् समाजसेवी के रूप में इस क्षेत्र में उनका सर्वोत्कृष्ट योगदान रहा। अन्तिम क्षण तक समाजसेवा ही उनका महान लक्ष्य रहा।

वैद्य किशनलाल का जन्म पालीवाल परिवार में सत्ताईस अगस्त सन् उन्नीस सौ बारह को नजफगढ़ में हुआ।

वैद्य किशनलाल ने रामजस कालेज आनन्द पर्वत से हाई स्कूल पास किया था। सन् उन्नीस सौ तीस में तिब्बिया कालेज से वैद्यक पास की। मात्र चौबीस वर्ष की आयु में आप अंग्रेजों के विरूद्ध असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े। दिसम्बर उन्नीस सौ छत्तीस में इक्कीस सितम्बर उन्नीस सौ इक्तालीस तक व्यक्तिगत सत्याग्रह में भागीदार रहे और ग्यारह अक्टूबर उन्नीस सौ इकतालीस से पहली जनवरी उन्नीस सौ तँतालीस तक चले सत्याग्रह में पंजाब की फिरोजपुर जेल में बंद कर दिये गये।


जेल से छूटने के पश्चात् गाँव घिटोरनी, महरोली में साढ़े तीस मास के लिये पुनः गिरफ्तार कर लिया गया। जेल से लौटने के बाद सोहनगंज सब्जी मंडी दिल्ली से पुनः चौदह दिन की जेल यात्रा की। भारत छोड़ो आन्दोलन में सितम्बर उन्नीस सौ तँतालीस से ग्यारह जनवरी सन् उन्नीस सौ चवालीस तक सक्रिय भागीदार रहे। ग्यारह जनवरी से मार्च उन्नीस सौ पैंतालीस तक लालकिले में बन्दी रहे। इसके पश्चात् अगस्त उन्नीस सौ संतालीस तक एन. ए. सी. कानून के तहत जेल यातना सहते रहे। निष्कर्ष के तौर पर वैद्य जी जवानी का अधिकतर भाग असहयोग आन्दोलन करते हुए जेल में बीता।

पन्द्रह अगस्त सन् उन्नीस सौ संतालीस को देश स्वतंत्र हुआ।आजादी मिलने के बाद 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव दिया। लेकिन सियासत में जाना उन्होंने स्वीकार नहीं किया। मुख्यमंत्री का पद ठुकराकर वैद्य किशन लाल ने महात्मा गांधी के कार्यों को आगे बढ़ाना ही बेहतर समझा। तद्परान्त गांधी जी के आह्वान पर कांग्रेस को तिलाजंली दे दी और वैद्य किशनलाल समाज सेवा में जुट गये। विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन में दिल्ली के प्रधान रहे और जर्मीदारों से भूमि दान में लेकर गरीबों में बंटवाई हरिजनों के साथ रहकर छुआछूत मिटाने में संघर्षरत रहे। दिल्ली देहात पब्लिक रिलेशन कमेटी के चेयरमैन रहे। राशनकार्ड बना कर दिल्ली के गांवों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत चीनी, गेहूँ और चावल वितरण की व्यवस्था की। ग्रामीण युवकों को चर्खा कताई का प्रोत्साहन दिया, ग्रामीण कुटीर उद्योग में युवकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाये। दिल्ली के ग्रामीण गरीब छात्रों को बेसिक टीचर ट्रेनिंग अजमेर में प्रविष्ठ कराया। हस्तसाल, हसनपुर, पटपड़गंज और नजफगढ़ में डिस्पेंसरी खोली और गरीबों का निःशुल्क इलाज करते रहे। इसमें सरकार का कोई सहयोग नहीं रहा। सन् 1964 में दिल्ली में आई भयंकर बाढ़ के कारण नजफगढ़ क्षेत्र के अनेक गांव जलमग्न हो गये। अतः बाढ़ पीड़ितों की एक वर्ष तक राशन व्यवस्था की और सर्दियों में रजाइयाँ बंटवाई। इसमें भात सेवक समाज की मुख्य भूमिका रही। वैद्य किशन लाल भारत सेवक समाज दिल्ली क्षेत्र के महामंत्री थे। श्री गुलजारी लाल नंदा इस समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

सन् उन्नीस सौ चव्वन में आपके अथक प्रयास से नजफगढ़ में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना हुई। यह शायद भारत का पहला प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र था।

पन्द्रह अगस्त सन् उन्नीस सौ बहत्तर को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने आपको स्वतन्त्रता सेनानी ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया। जून उन्नीस सौ पिचहत्तर में लगी आपात स्थिति का वैद्य जी और अन्य सात लोगों ने भूतपूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश श्री भीमसैन सच्चर की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को पत्र लिखकर विरोध प्रकट किया। परिणाम स्वरूप इन सभी को गिरफ्तार कर लिया गया। आप सत्रह मास तक जेल में रहे।

वैद्य किशनलाल पुलिस अत्याचारों के खिलाफ जन जागृति करने में सदा अग्रणी रहे। आपने अंग्रेजों द्वारा बाक्करगढ़ वासियों को नजफगढ़ में मेन बाजार चौक में दी गई फांसी के शहीदों की यादगार में स्मारक बनवाया जिसकी नीव तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष यू. एन. ढेबर ने रखी थी।

आप अति उदार प्रकृति के महान व्यक्ति थे। नजफगढ़ विद्यालयों के गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति दिया करते थे। लोगों की समस्याओं को सुनते थे और निराकरण में भरपूर प्रयास करते थे। आप सबके दिलों में बसे हुए थे। आपकी दिनचर्या नियमित थी। योगासन प्राणायाम आपके जीवन के अंग थे। सादा जीवन और उच्च विचार आप का मुख्य सिद्धान्त था।

जिस प्रकार बावकरगढ़ वासियों की अंग्रेजों द्वारा जमीन जब्त कर ली गई। उसी प्रकार आपकी भी जमीन जब्त की गई। परन्तु अपने सिद्धान्त को आंच न आने दी। आपको पढ़कर आश्चर्य होगा कि वैद्य जी अपने पूर्वजों के पुस्तैनी मकान में जीवन यापन करते रहे जिसमें अब उनका परिवार रह रहा है। मकान जैन मंदिर वाली गली में स्थित है।

अन्त में ये पंक्तियां लिखते हुए खेद हो रहा है कि 17-10-1984 को वैद्य किशनलाल कर्णवास गंगाजी में समाधिस्थ हो गये। उनके क्षत-विक्षत शव की प्राप्ति पर अगले दिन गंगा किनारे दोनों पुत्रों द्वारा उनका अन्तिम संस्कार हुआ। नजफगढ़ में मातम छा गया और 29-10-1984 को नजफगढ़ में दिवंगत आत्मा को बहुत बड़ी सभा में श्रद्धांजलि दी गई।

वैद्य जी मर कर भी अमर हैं। उनके कार्य और सेवा कभी भुलायें नहीं जा सकते। हमें उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनके दिखाये मार्ग पर चलना चाहिए। उनकी तरह राजनीति से दूर रहते हुए समाज सेवा में रत रहना चाहिए। अत्याचार, अनाचार, रिश्वतखोरी का विरोध करना चाहिए और ढोंग पाखण्ड तथा कुरीतियों और अंधविश्वास को मिटाने में सहयोग देना चाहिए।

वैद्य जी  के नाम पर किया एक द्वार व सड़क का नामकरण
आजादी की लड़ाई में शामिल होने के कारण वैद्य किशनलाल का सम्मान देने के लिए एक द्वार और एक सड़क का नामकरण उनके नाम पर किया गया। एमसीडी ने नजफगढ़ स्थित दिल्ली गेट का नामकरण वैद्य किशनलाल के नाम कर रखा है। इसी तरह नजफगढ़ से कापसहेड़ा तक सड़क भी उनके नाम से जानी जाती है।
दिनांक
स्रोत अपना कार्य
लेखक ArmouredCyborg
कैमरा स्थान२८° ३६′ ४४.६७″ N, ७६° ५९′ १०.१७″ E Kartographer map based on OpenStreetMap.यह और अन्य आसपास की छवियों यहां पर देखें: ओपन स्ट्रीट मैपinfo

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