चीन में संस्कृत मुख्यतः ग्रीष्मकालीन शिविरों में सिखाया जाता है। बौद्ध भिक्षु जुआन जांग ने छठवीं शताब्दी में भारत की यात्रा की थी उसके बाद वे यहाँ संस्कृत और भारतीय चिकित्सा पद्धति सीख कर 17 वर्षों के बाद चीन वापस गए और इसी के साथ चीन में संस्कृत भाषा का प्रसार शुरू हुआ।[1][2]

ग्रीष्मकालीन शिविर

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चीन में ग्रीष्मकालीन शिविरों में संस्कृत सिखाया जाता है।[3]

  1. "चीन में बढऩे लगी संस्कृत भाषा की लोकप्रियता". दैनिक जागरण. 19 अगस्त 2015. मूल से 26 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फरवरी 2016.
  2. "चीन में संस्कृत का क्रेज, बुद्धिजीवी ले रहे दिलचस्पी". नवभारत. 18 अगस्त 2015. मूल से 4 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 फरवरी 2016.
  3. "चीन में चलेगी संस्‍कृत की क्‍लास". आज तक. 19 अगस्त 2015. अभिगमन तिथि 13 फरवरी 2016.

बाहरी कड़ियाँ

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