चुम्बकीय विरूपण (Magnetostriction), लौहचुम्बकीय पदार्थों का एक गुण है कि जब उनको किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उनके आकार (या लम्बाई-चौड़ाई) में परिवर्तन हो जाता है। इस प्रभाव को सबसे पहले १८४२ में अंग्रेज भौतिकशास्त्री जेम्स जूल ने देखा था। वे लोहे के एक नमूने पर परीक्षण कर रहे थे।