चैतन्यमङ्गल ( बांग्ला: চৈতন্যমঙ্গল) लोचनदास या लोचानन्ददास द्वारा १६वीं शताब्दी में बांग्ला में रचित एक महत्वपूर्ण भौगोलिक कृति है। यह चैतन्य महाप्रभु के सर्वोच्च व्यक्तित्व आधारित है। यह रचना मुरारी गुप्त के संस्कृत में रचित कडच से प्रभावित है। पूरा ग्रन्थ चार खंडों में विभाजित है: सूत्र खण्ड, आदि खण्ड, मध्य खण्ड और शेष खण्ड । चूँकि यह कृति केवल गायन के उद्देश्य से लिखी गई थी, अतः इसे आगे अध्यायों में उप-विभाजित नहीं किया गया है।

चैतन्यमङ्गल में प्रायः ११ सहस्र पद्य हैं।