चैतन्य शतक
पंडित सार्वभौम भट्टाचार्य ने गौरांग की शत-श्लोकी स्तुति रची जिसे आज चैतन्य शतक नाम से जाना जाता है।[1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ डॉ॰अतुल टण्डन. "भगवन्नाम के अमर प्रचारक चैतन्य महाप्रभु". याहू जागरण. मूल (एचटीएम) से 12 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 जून 2009.