चैतसिक

इसे सुनें कहते हैं बौद्ध मत में जाति नहीं होती, ना ही इसमें देवी-देवता का कोई कांसेप्ट होता है, ये ध

बौद्ध धर्म में विभिन्न निकायों में चैतसिक (पालि : चेतसिक) से आशय पुरुष की दुष्टकर्मों से विरत रहने की शक्ति से है।